मैंने एक बार नहीं बार बार पूछा ...
तुझसे ही नहीं ये हजार से पूछा
नहीं मिला कुछ खास किसी से
लगा सब ने बहला दिया मुझे
वो ज्ञानी और मैं बेचारा अज्ञानी
क्या उचित था ऐसा कहना उनका !
सवाल था गहरा माना गया हल्का यद्यपि
अहम् खड़ा हुआ बैठ गया धुनि रमा के
आखिऱ ये पहेली है क्या ? जानके रहूँगा
अब तो इस ......अबूझ पहेली को
क्या है भूत..... ..क्या भविषय
कहा से आया हु....कहा जाना है
और रहना कहा .... कब तलक
अजीब उलझन.. अजीब कश्मकश
खुद से कहना और खुद ही सुनना
आँखे बंद हुई आहिस्ता आहिस्ता लगा उड़ चला मन अज्ञात की ओर
पंख साथ छोड़ने लगे एकएक कर कुछ यादो के कुछ किये वादो के
कुछ खुद से तो कुछ किये औरों से यहाँ मैं अकेला नितांत मैं के साथ
अचानक घटना हुई मेरा " मैं " और मैं
मेरे सामने खड़े आमने सामने दोनों
क्या है जानना मुझे बता
तेरे सब सवालो का जवाब दूंगा मैं
मैं उत्साहित हुआ बावरा
पूछ ही डाला किस्सा सारा
सीधा सटीक मैं कौन मेरा कौन ?
" मैं " ने मुझसे कहा क्या है तेरा ?
मैंने कहा कुछ नहीं
उसने कहा क्या लाया था तू ?
मैंने कहा कुछ नहीं
उसने कहा क्या साथ लेके जायेगा ?
उसने कहा क्या लाया था तू ?
मैंने कहा कुछ नहीं
उसने कहा क्या साथ लेके जायेगा ?
मैंने कहा कुछ नहीं
अब मैं तनिक उदास हुआ
अपने न होने का अहसास हुआ
अब मैं तनिक उदास हुआ
अपने न होने का अहसास हुआ
उसने पूछा अच्छा तू ही बता तेरा है क्या ?
सबसे जरुरी प्यारी चीज़े लगती
टिका सम्पूर्ण ईमान भवन तेरा
रोटी , कपडा , घर , प्रेम और पैसा
मैं गिनता हूँ तु सिर्फ हा और ना कर
मायूस हुआ इस बार फिर भी कहा " ठीक "
मायूस हुआ इस बार फिर भी कहा " ठीक "
उसने कहा , तेरे सम्बन्धी तेरे
मैंने कहा ना जी ना सब सामायिक
मैंने कहा ना जी ना सब सामायिक
उसने कहा भोजन तेरा
मैंने कहा वो तो बार बार नया लेना पड़ताहै
उसने कहा ये वस्त्र तेरे
मैंने कहा पुराने हुए कि फटे फिर लो नए
उसने कहा घर तेरा शहर तेरा
मैंने कहा न जी न , मेरा कहा ये सब
फिर उसने कहा चलो तुझसे तेरा ही पूछ लेते है
तू बता तेरे शरीर में तेरा क्या ,
दिल से लेके दिमाग तक
क्या विचार तेरे ?
ये धड़कन तेरी ?
लगातार घूमती बेलगाम जबान तेरी ?
क्या इधर उधर भटकती आँखें तेरी ?
हाथ पैर दौड़ते भागते क्या है तेरे ?
क्या तेरा जो तू इतना इतराता है !
मैं चुप , खामोश , सन्नाटा चारो और
समझा सोचा देखा इधर उधर फिर
बड़ी मुश्किल से मैंने कहा शायद कुछ नहीं
पर जन्म से यही लगा कि ये तो मेरा ही है जी
पर शायद नहीं , ये भी ले लिया जायेगा एक दिन
उसने कहा ठीक समझे , वो जो तेरा नहीं
सब एक दिन तुझसे वापिस लेलिया जायेगा
कर्ज से तेरा जनम हुआ , कर्ज तले बड़ा हुआ
कर्ज का नियम चुकाना मालिक वापिस लेगा ही
धरती का वापिस धरती को जायेगा
आकाश अपना हिस्सा ले जायेगा
जल का हिस्सा जल को जायेगा
अग्नि का अग्नि को जाएगा
वायु का कर्ज वायु को वापिस
बाक़ी जो तू पूछ रहा है
तू खुद व्योम का हिस्सा है
अब बता क्या बचा तेरे पास
जिसको तू कहे तेरा है ?
प्रश्न गिर गए सारे
सारे हल मिल गए
सारे हल मिल गए
उलझा तो कुछ बचा नहीं
सारे जवाब यही ह्रदय में
मेरी दिन रात की मारा मारी
सारे जवाब यही ह्रदय में
मेरी दिन रात की मारा मारी
मेरी व्यर्थ कि आशाये निराशायें
मेरा ये मेरा वो मेरा मान
मेरा अपमान , मेरा मेरा मेरा
कहते सुनते पूछते थका मन
देखा पाया जाना माया मृग सदृश
लुप्त एक दिन सब स्वप्नवत
स्वप्नवत संसार स्वप्नवत संसार।
विचारजनित स्वप्न सदृश सब
मन मस्तिष्क रचित विचार स्वयं
स्वयं मन-मस्तिष्क छली माया-मृग।
मैं निशब्द अब तो मेरा "मैं" भी मैं मैं लग रहा था ,
बाहर पूछ पूछ के हारा आँख बंद की और सब पाया
अश्रु बहे , बहते ही रहे निर्मल मन , निर्मंल तन
निर्मल बुध्ही , शुध्ह आत्मा प्रेम करुणामय संसार।
Om Pranam
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