Friday 6 September 2019

बड़े चर्चे थे साहब के

आवाज में कड़की जवां और हृष्टपुष्ट थे
बड़े चर्चे थे उनके जब साहब जिन्दा थे

उम्र की लाठी चली उनपे तोहमत लगी 
उन्हें ऐसा नहीं बल्कि ऐसा होना चाहिए

ये देखो इस बात पे ऐसा क्यूँ कह दिया 
वो देख  बेमतलब इधर उधर डोलते है 

आज उन्होंने बजार में गजब कर दिया 
आज उन्होंने हमारी बात ही नहीं सुनी

बुढ़ापे में ऐसा किया सठिया गए है क्या
जो बना खा लिए  मन का खा नहीं सके

आज वो नहीं है, किसी को भी याद नहीं
सबकी है जिंदगी उन्हें भी कहने वाले हैं

वे सब जिन्दा , कहे की परवाह में परेशां 
जो बेचारे परवाह में गए उनको भूल गए 

ये कैसा चक्कर है, चक्कर में चक्कर है 
धनुसा घनचक्कर हो बोलता अपने लिए

© Heart's_Lines / Lata Tewari