Wednesday 30 October 2019

ये फलसफे है



ये फलसफे है इन्हे सुन सको तो सुनो


क्यूंकि इनमे ही छिपे हुए अफ़साने है


एक एक अफ़साने में छिपी दास्ताँ है


हर दास्ताँ में छिपा है एक लम्हा देखो


और हर लम्हे के भीतर रहता वो सच


ये फलसफे है इन्हे सुन सको तो सुनो

Tuesday 22 October 2019

सार्थ (meaningful)

ह्रदय भाव समर्पित उम्र के नाम 

जवानी में मिले थे लो वृद्ध होने आये
पिछली लम्बी पूरी जिंदगी लड़ते रहे
तुम्हारे संस्कारजन्य अहंकार के संग
मेरे थे संस्कारजनित अहंकार के पुंज

कैसे हार मानते थे युवा ऊर्जा से युक्त
किन्तु आज समझ आया तुम्हारी तेजी
तुम्हारी शक्ति.. जिससे उलझ रही थी
दरअसल वो मेरी ही थी, तुम सूरज थे

और मैं धरती; तुम्हारी ऊर्जा से घूमती
प्रकति को अपने गर्भ से जन्म देती मैं
मौसमों को समटे हुए अपने आँचल में
शक्ति मदांध सूर्य का ओज भुला बैठी

किन्तु ..आज हम दोनों वृद्ध हो चले हैं
'मैं अशक्त हूँ', ये बात स्वीकार है मुझे
तुम्हारा अशक्त होना अच्छा नहीं लगा
न जाने क्यूँ! तुम्हे पूरी उम्र लड़ते देखा

स्वयं से तो कभी मुझसे कभी दुनिया से
तुम तो सूर्यकेन्द्र थे तुमसे सुबह शाम थे
तुमको अशक्तनिढाल हारा हुआ देखना
जाने क्यों; मुझे अशक्त निढाल करता है