Tuesday 8 November 2016

ह्म्म्म , है तो !




मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।

स-पंद्रह बरस बचपन युवा काल बीते गर्व में, उन रातदिनघंटेघटीपल में गुण सौन्दर्य लोचित , बस अदृश् थी मुई ईगो_अलोचित !
त सालों, ईगो घटी-पल से हो चांदनी बन, मन-आंगन में उतरी तो, परिचित थी अपरिचित , ह्म्म्म , है तो , ईगो साथ चल तो रही है।
ज्ञान से, मान से, पुकार से, बहुत काट छांट के देखा, क्या मेरी ईगो बची, ह्म्म्म , है तो , मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।
प्रेम से बोलना , सच बोलना और सच सुनना , प्रेम की चाहना होना , ह्म्म्म , है तो ! मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।
रल को सरलता, प्रेमी को प्रेम, सहज को सहजता , गुणाभाग की दुनिया मचल रही है,हाँ मेरी ईगो मेरे साथ चल तो रही है।
पीछे से कुछ सीखा आगे कुछ देखा अपनी गाड़ी खरम्मा-खरम्मा चल रही है , ह्म्म्म , है तो ! मेरी ईगो मेरे साथ साथ चल तो रही है।
कोई चिंगारी है शायद जो इस देह में सुलग तो रही है , पहचान है ! ह्म्म्म , है तो ! मेरी ईगो ही तो है, उखड़ी सी साँसे ले तो रही है।
दुलारी,परिचिता,प्रेमळ,पली-पुसी को अंतिम अर्पण तर्पण दे , लौट के देखा, ह्म्म्म, है तो, मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।
पने धोबी को सौंपा पटकपटक तारतार धोने बोला मुई सफेदी में और उभरी, ह्म्म्म, है तो , मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।
जीवन की गर्म लौ लड़खड़ा के सही , मचल तो रही है ! हम्म , है तो ! मेरी ईगो अभी भी मेरे साथ चल तो रही है।
जीवित श्वेत-शांत लौ आ, तेरा आह्वाहन, नेह निमंत्रण, मुझमे सुलग तू भी , हम्म है तो ! अभी भी जीवन-पथ पे धुरी चल तो रही है ।



स्नेह नमन