मैं एक आत्मा हूँ
देह! सुन्दर व्यवस्था, मेरे लिए
मेरे हाथ में लेखनी प्रारब्ध की
स्याही भरी है इसमें भाग्य की
मैं एक आत्मा हूँ
कोरा कागज है, इसके हाथ में
प्रारब्धलेखनी से निर्देशित लेख
भाग्यस्याही लिखती बनते कर्म
मैं एक आत्मा हूँ
सुविधा है मुझे थामी लेखनी से
क्या लिखू जो स्याही बन उभरे
मेरे कोरे कागज को पूरा रंग दे
मैं एक आत्मा हूँ
चेतना मेरी ही समझ का हिस्सा
जो मुझे शक्ति रूप मिला हुआ
चाहूँ जब, लेखनी को विश्राम दूँ
मैं एक आत्मा हूँ
समझती हूँ लेखनी के रुकते ही
रुक जाएगी फैलती भाग्यस्याही
और उभरे अक्षर कोरे कागज पे
मैं एक आत्मा हूँ
मेरी शक्ति जिससे प्रारब्ध हारा
भाग्यसहमा कर्मचाक ज्यूँ थमा
पाया कागज कोरा का कोरा है
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