Monday, 7 April 2014

किंचित संतुलित_असंतुलित से हम



उम्र के उस पड़ाव और इस पड़ाव के बीच का मध्य बिंदु 

और इस मध्य बिंदु के बिलकुल बीच खड़े 
किंचित संतुलित और असंतुलित से ! 
फिर भी असंतुलन में संतुलन तलाशते 



महवाकांक्षाओ और जरूरतों के बीच भी तो हम ही थे 
बाहरी और भीतरी जंग के बीच भी हम ही मध्य में खड़े थे 
हर वख्त हर जगह मध्य में किंचित संतुलितअसंतुलित
फिर भी मध्य बिंदु खोजते प्यासे भटकते यहाँ वहाँ

संसार और असंसार के बीच में भी हम मध्य में फिर से 
खुद से और खुदी से के बीच भी हम बीच में ही थे 
हद्द हो गयी अब तो समझने की और समझाने की 
जीवन और म्रत्यु के बीच भी तो हम ही खड़े है 

हरवक्त बीच संतुलन में खड़े असंतुलित से हम 
मध्य संतुलन ह्रदय बिंदु ढूंढते ही रहे और
ज़माने से कहते भी रहे अति गर्व से
हमारे परम पूज्यनीय ने हमे एकांत में ज्ञान दिया 
हमको भी श्री श्री बना अतिविशिष्ट सिंहासन दिला दिया ……………

- मध्य बिंदु सरल सहज ओ अति उत्तम 
खड़े हो जाओ तुमभी , ढूंढो अपने मध्य बिंदु को 
कैसे भी करके प्राणायाम करो विधिपूर्वक ध्यान करो
प्रयास करो , न्यास करो या घर में रह कर संन्यास करो 
वर्ना उम्र ग़वाओगे , बाद में पछताओगे 

मध्य बिंदु पे खड़े उसी को ढूढ़ने में ताउम्र लगा दी 
अहसास हुआ उस अति मध्य बिंदु का पर क्या करे 
जुबान खामोश थी , आँखे बंद , कानो में सायं सायं 
म्रत्यु से पहले दिमाग शांत , शरीर निश्चेत , और
ये वाली सांस आखिरी थी , निर्मोही थी ,पर सज्ञानी थी |


न्यास = विश्वास /संकल्प

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