कैसा सुन्दर मिट्टी का बाग
kaisa sunder Mitti ka bagh
मिट्टी का घोडा, मिट्टी का जोडा,
Mitti ka ghoda , Mitii ka joda
मिट्टी का ही है घुडसवार।
Mitti ka hi ghudsawar
मिट्टी, मिट्टी को दौडाती,
Mitti , Mitti ko daudati
मिट्टी की ही है आवाज।
Mitti Ki hi hai Aavaz
मिट्टी, भागी मारने मिट्टी को,
Mitti Bhagi marne mitti ko
मिट्टी के ही है हथियार।
Mitti ke hi hai hathiyar
जिस मिट्टी पर ढोहते मिट्टी,
jis mitti pr dhote mitti
उस मिट्टी में है अहंकार।
us mitti me hai ahankar
उस मिट्टी से ही निर्मित है,
us mitti se hi nirmit hai
दुनिया भर के सारे बाग।
diniyan bhar ke saare bagh
देखने आई मिट्टी, मिट्टी को
dekhne aayi mitti ko
और देखने उसकी बहार।
aur dekhne uski bahar
हर्षोल्लास मनाकर मिट्टी,
harshollas manakar mitti
फिर मिट्टी बन हुई निढाल।
fir mitti ban hui nidhal
कहे बुल्ला उत्तर पूछो गर,
kahe bulla uttar pucho gr
धरा पर पटको अहम् उतार॥
dharaa pr patko ah_m Utar
द्वारा - गुरुतत्व बुल्लेशाहजी। (१६८० ई. १७७८ ई.)."
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