फूल गुलशन से रूबरू हुए
बाग़ खुशबु से सरोबार हो गए
बाग़ जो तेरे बोलों से मिले
लब्ज़ इत्र कीं दो चार बूंद हो गए
ये लब्ज़ तेरे गीतों से मिले
सुरमयी दिन महताब रात हों गए
गीत जो कायनात से मिले
नूरे जमाल कीं बरसात होगये
नूरे इश्क़ अश्कों से जा मिला
वख्त एक शोला ए दरिया
और हम आफताब हो गए
और हम आफताब हो गए

ॐ ॐ ॐ
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