Saturday 30 August 2014

स्वागत - सम्मान




जो  तूने  दिये सहारे जीने को 

किसी  नियामत  से कम नहीं 
होने  की कीमत नहीं समझते  
कैसे नादाँ वो जो है नहीं देखते 

चाँद  तारों  की चमक देखते है 
सूरज को  रौशन देख जलते है 
दूर तड़कती बिजली लुभाती है 
नहीं  मिलता  उसी में  जीते है 

नजरे झुकाके दिल नहीं देखते  

जो  वो देखने का शऊर देता है 
दिल  से सम्मान  निगाहों का 
जिनसे  इतना  कुछ देख पाये 

सम्मान  उन  ताकतों  का जो

जितना अहसान  माने कम है  
सुगन्धित प्रेमोपहार जीने को 
भाव  अहसास  का भी दे गयी 

इन  साँसों  की माला में पिरो 

जीने  का  हौसला वो दे  गयी 
स्वागत  उन  सभी  पलों  का 
सम्मान समस्त  उपहारों का 

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Friday 29 August 2014

अब आपकी बारी है



नशेचीन है बे-हिसाब बोलते रहेंगे 

शब्द सजाते साज़ बजाते ही रहेंगे 

खुद पे कभी तुम पे हँसते ही रहेंगे 

बीतेगा वक्त कभी टूटके बिखरेगा  

इनकी बातों में ना मुकाम बनाना 

लहर मानिंद है,वे आते जाते रहेंगे 

सुरूर वो मय का जो खाने में बंद है 

इक ये कि पिया नहीं फिरभी चूर है 

जिंदगी की बिसात पे , दांव है लगे

हारिये या के जीतिए, क्या कीजिये !

दिनरात भागने की आपा धापी क्यूँ

अपनेदिनरात है,इत्मिनान कीजिये!

अपनेही अंधेरों को रौशनी वो कहते है 

अच्छीबातों के भेस में छिपेहुए बैठे है 

सबको समझाया खूब  बखूबी आपने 

वोही समझने की अब आपकी बारी है 
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Thursday 28 August 2014

गजब है माया




हम कौन है? कैसे है? कहाँ से है?
कैसे कहें,कैसे कोई जानेगा इसे?

साथ की पहचान कभी हुई नहीं 
मालूम बस इत्ता,जन्म लिया है 

कहाँ  क्यों  चल रहे है पता नहीं 
अकेले चले  है इतना ही पता है 

जिंदगी में कौन कब तक चलेगा 
कोई जानता है न ; पहचानता है 

मासूम नजरों का धोखा देखिये 
सभी अपने हुए कोई गैर नहीं है 

माया  का ऐसा आवरण छाया है 
कोहरे से परे कुछ सूझता नहीं है 

बड़े से  बड़ा  सदमा भूल जाते है 
छोटी बात भूलने में चूक जाते है 

अजब बुद्धि की  गजब है माया 
सब अपना सा लगता होता नहीं 

करिश्माई; पैरो में चक्कर पड़ा है 
बढ़ते जारहे है कहीँ रुकते नहीं है 

सच कहा है उसने परवाह न कर 
तू  कब जिया है तेरा जीवन खुद 

एक  भी पल क्या तू जी सका  है 
ये तो खुद ही खुद को जी  रहा है 


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इश्क़ समंदर



इक इश्क़ इबादत है  इक इश्क़ जुनूँ
इक इश्क़ नजाकत कभी  वहशत है
इक  इश्क़ बेख़ौफ़ तो कभी सहमा है
अश्कों का खज़ाना  नूर की दौलत है

बयां ए इश्क तो और अनबूझ हुआ है
जज्बात के सुर मिले तो वहीँ  बंधा है 
जिस दिल में उतरा निगाहोँ में दिखा
रिश्तों में बंधा है बेबस बँध के मरा है

इश्क बरसे जहाँ रौशन वहां नज़ारा है
इश्क कहर बरपाये तो, ख़ुदा खैर करे
कभी जिंदगी देता कभी छीन लेता है
दीने-इलाही से मिला भी यही देता है

इश्क़ अपने रिवाजो से बदनाम  हुआ
अलग अलग रिश्तों रस्मों  में ढला है
किसी को  दे गया  जीवन की दौलत
कभी खौलता आग का दरिया बना है

बेमोल लूटाया तो, बेशकीमती बना है
कुछ चाहा उससे , वही बे-मौत मरा है
प्यासे इधर-उधर खोज में तड़पे भटके
जहाँ थक के बैठें, वहीँ  समंदर  बना है 



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Wednesday 27 August 2014

इश्क़




मोहब्बत  की शोहरत जरा दोनों तरफ देखिये 
सूरत  इश्क़  की  साफ  हो  जाएगी 

एक तरफ माँ का जाया वो छाती से लिपटा है 
मासूम  है जो अबोध है अनजान है 

दूजी तरफ उस माँ का आँचल कुछ भीगा सा है 
कैसा प्रेम रिसाव जो दिल को जोड़े है 

ये पल के ख़ुदा का नूर उतरा है माँ के आँचल में 
तो वो मासूम भी इश्क़ में डूबाडूबा है 

इस  इश्क़ उस  इश्क़  में फर्क इतना ही है मौजूद  
इक  बेपनाह है तो दूजा पनाह में है 

ये इश्क़ जो समझ पाया उसपे ख़ुदा मेहरबाँ हुआ 
ये वो दरिया है जो कभी उल्टा नहीं बहता 


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true religion is .............




be always natural simple
spontaneous  and  rooted !

divine shine and wisdom 
just think religion of flower !

just observe flowing of river
just look tall stand fruit tree !

what is the religion of their
feel and find same with you !

live religion not from mind
beautiful life live full of core !

human's birth for humanity
feel live than act according !


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Tuesday 26 August 2014

Happiness; A Destination




" My " Senses walks here-there
for the help of " My " Mind King
who're rule over wounded heart

desperate struggle with feelings
to  know  existence of emotions
those're theatrical tested illusive

Ganglion sit emotions of Ocean
with  wise-boat try-to  swim out
but must have to see D.O.B. of

epic of maund altogether funny
what not needs why to conquer
eg; hate anger lust fraud poison

who want them in-their kingdom
so !  why or what is left effort for
if toxic is not there, you're nectar

keep it in mind first esquire self
be responsible to self , beloved!
reminds existence with neti-neti

ask!are thoughts produces fruit !
are venom effects last my core !
Am liven Zombie's mortal state !

ask ! what i'm doing ? what for ?
are these changeable emotions !
or this sound  comes from core !

to know "Core" dive down center
you'll find faultless Ignited flame
it's away to all mangles of minds 

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Monday 25 August 2014

Coincidence



Sensate with no words
its a intuition or its a miracle
or its sign to receive of whatever gives
do you've !

Dreaming  in night
feeling sweat wet body
and awake and see nothing is  Real
do feel ever  !

In the midst day
feeling drowsiness; sudden
feel beloved touches,ware but nothing is there
do you've !


Usual on daily-walks
alone walk on lonely road and one day
intimate sound enlighten from back " hei , can i walk together "
gives hundreds dazzled


Mom's heartbeat get fast
no reason of fears to that  day out
in the day-end  feel comes she was right !
reckon anytime  !


for some unknown  reason
from unknown territory unexpected
kind blessings showers by unknown medium
ever encountered !


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Sunday 24 August 2014

सभी तो चल रहे हैं लौट जाने को घर




जो भी कीमती समां नाजुक है  शीशे सा
भावों से महका हुआ, ये बगीचा ही तो है
कीमती अहसासों और महक  से भरा है 
देखिये संभलिये इन्हे अल्हदा न कीजिये

सब कुछ खुली किताब में दस्तूर फैला है
जान के अंजान हो ये रिवाज़ भी पुराना है
सुगंध को सहेज रखना, मुश्किल बहुत है
गुलाब  को कुछ देर पकड़ के तो देखिये

सूरज जहाँ  रौशनी  देने में नाकाम हुआ
इसी दिए की लौ ने रास्ता दिखाया हमें है
मुश्किल-सफर निगाहों का इक धोखा है
बस कदम का फासला तय  करते रहिये

मोहब्बत में गिरे जो जानिए पैदा हुआ है
उसी में पल पल उठ के वो जवाँ हुआ है
इश्क़ की सुगंध बन हांथों में सिमट गया
सुना !मोहब्बत में वो शख्स मिट गया है  

अपने-अपने मुकाम से गुजर रहे सभी है
सुलगते हुए इबादत  मोहब्बत के चिराग
वख्ती स्याही के साथ, चिंगारी समझ की
सभी तो चल  रहे हैं.... लौट जाने को घर

mysterious existence...

sometimes even super powerhouse the sun can't show the path and sometimes a small spark is enough to show the path. All comes from Source Blessings. Keep in mind before making any harsh decision for life, if you understand its relief, you are an absolutely wrong relief is only with coolant and divine-spring gives the shower of sense and relief,  no one authorized to cut distinct even to cut life thread.

God gives strength to float not to swim . and it is not difficult !! 

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Falling in love you remain a child; rising in love you mature. By and by love becomes not a relationship, it becomes a state of your being. Not that you are in love - now you are love. "

- Osho

Saturday 23 August 2014

Little Poetic Meditation


Neither  drown in feelings or be dry
Neither  talks over nor dense silence
Neither  to dive down or to fly-high
Neither  to madly weep nor to laugh
Neither  to  sink in song nor to fight
Neither  in access gain nor in profit
Neither  to exact in wins nor to lose
Neither  to access  mad nor to wise
Neither  to  total  awake or to sleep
Neither  to run fast nor to sit dump
Neither  to eat  so much or get fast
Neither  to exert much  nor goes ill
Neither  to feel superior  or Inferior

Life is not to explore in extremes
Nut shell is;that is sheer madness
Even, after living full in madness
Spiritually religiously or materially
Your soul will demand for balance
You must have to come in middle
Either you may agree or not today....

Now,what is mid Point ! confusion! 
Just give minutes meditate yourself 

Sit  observe with zero presumption
You will find very much similarities
In baby walks  and old men walks
Each step both takes very carefully
For best walk without harm to self
Trying to find of both balance within ..

You will find Grass and God are same
Cuckoo song is matches with Buddha
Either One particle or in billions stars -
Have all lives with-in same properties
comparison brings down in low spirit
The Soul feels sorrow against  purity

As value comes in mind projection
Sudden cuckoo song will disappear
And Buddha get melted to dissolve ,
Krishna's flute music get stop sings
Negatives will get more powerful
Thirst to grab of access nectar
Certainly will produce more poison
And after receives  more poison
Nectar demand become more high  
All shows give n take dissemblance...

For while ; just look around nearby
Just look fairly with all zero mind
Find answer of own Earns and Gifts
Sure you will find song and beauty
All essentials needs already with,
It is an organic Unity, Natural Gift
Natural A Uniqueness of Individual ..

Enjoy the Life ; " As It Is " ,
In uncertainties Not in planning
Happiness and Joy are presents
Not in judgments , Not in Wars
Not in killings , Not in Politics
In Personal or external dealings
Access shows kinda Imbalance

Look ! evolution Journey from Era
To find that Happiness and that Joy
You Involves in Search of Balance !
It's Says Religion Life and Spirituality


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अबोध



उफ़ !

ये कहाँ आ गया !
मौज में उड़ते उड़ते
उड़ान के वख्त का
पता ही नहीं चला
पंख फैलाये  और
थोड़ा बदन सिकोड़ा
उड़ चला ऊँचे अस्मां को छूने
संगी साथी भी तो  संग उड़े थे
मगन हो खुश हो रहे थे ,
गीत गा रहे थे
साथ साथ पेंगे भर रहे थे


उड़ा के ले चली हवाएँ
ऊपर और ऊपर
संगी बंधू थे साथ मेरे
गलियों सड़को  से ऊपर
नदियों बागो से ऊपर
उन्नत पर्वत से ऊपर
हवाओं संग बादलों से ऊपर
आकाश अनंत  गहरा
नीला अथाह सीमित
वख्त ने करवट बदली
मौसम का मिजाज बिगड़ा
तेज हवाएँ
बिजली चमकी
पानी बरसा
तुफानो  में घिरे हम
कहाँ गए प्रिय संगी साथी
कोई क्यों नहीं दिखता

सब छूट गए
पीछे रह गए
या बिछड़ गए
घबराहट  तो है
पर साहस भी है
शक्ति पे भरोसा  भी
धरा पे बयाँबान अँधेरा
रात्रि ने कालिमा फैला दी
दिशा का ज्ञान नहीं
थोड़ी थकन भी
बेचैनी भी है
कहाँ खड़ा हूँ
कहाँ जाना है
कितना दूर उड़ना है
थोड़ा नीचे उतरू तो
जगह का पता मिलेगा

आह !

ये तो घनघोर निर्जन वन  है
घातक आवाजो  का शोर है
जीवन  बचेगा ! शंका है !
हताशा से घिरा मैं
सिर्फ प्रार्थनाये साथ है
वो ही तो सम्बल बनेंगी
थोड़ा विश्वास जागेगा
विश्वास  अंदर  के डर को मरेगा
डर जब मरेगा  तो उत्साह जागेगा
उत्साह से ही तो ऊर्जा का  संचार होगा
ऊर्जा  से पुनः  उड़ान भर सकूंगा
अपने घर को जा सकूंगा
शायद बिछड़ों से
मिल सकूंगा !
आशा है !

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Friday 22 August 2014

हमी तो है !




एक  तूफान है  बला का जो सब कुछ उड़ाए लिए जा रहा  है , 
                                              एक हम है बदहवास  से सब कुछ पकड़ने की फ़िराक़ में है

कायनात की रफ़्तार तो देखिये तिनके से उड़े जा रहे सब हैं , 
                                             कैसे नादाँ वो बिजिलियों को छूने की ललक दिल में लिए है 

यूँ तो  सुबह रोज ही और शाम भी रोजमर्रा का नज़ारा  हुआ 
                                             दिमाग में खलिश और सीने में जलन लिए  इंसान ही तो है 

बा_दुरुस्त कहते है वो  जो  जी गया एक बार वो मरता नहीं 
                                             बारबार जीने की कोशिश में इंसा नस्तनाबूत हुआ करते है 

कुदरत करिश्मा  देखिये ,ज़ेहन  में  कोई  गफलत  न पालिए 
                                              हमी तो है सालोसाल सुबहोशाम मरते फिर जिया करते है 

बिछड़े कब मिले रुठिए न शिकवा कीजिये इस पल के साथी ,
                                            यूँतो खोईयेगा कहाँ हमको रेत के कणकण में जब्त हमी है


Photo: एक तूफान है बला का जो सब कुछ उड़ाए लिए जा  रहा है 
एक  हम है बदहवास से सब कुछ पकड़ने की फ़िराक़ में है

कायनात की रफ़्तार तो देखिये तिनके से उड़े जा रहे सब  हैं 
कैसे नादाँ वो  बिजिलियों को छूने की ललक दिल में लिए है

बिछड़े कब मिले रुठिए न शिकवा कीजिये इस पल के साथी
यूँ तो कहाँ खोईयेगा हमको रेत के कण कण में जब्त हमी है

Thursday 21 August 2014

बाद

Dedicated to #Ustad Bismillah khan sahab

शिद्दत से याद किया दोस्त ! तेरे चले जाने के बाद
जिंदगी को पुरजोर मानते रहे हम,रूठ जाने के बाद

वक्ती दौड़ में हमभी थे शामिल उस काफिले के साथ
जहाँ खामोश थी सदायें, आँधियाँ गुजर जाने के बाद

उम्रदराज बीत गए चार पल आरजू के , इन्तजार में
माशा-सांस अटकी थी गलक में तूफां पी जानेके बाद

कैसी उलझन ,क्या करना चाहिए था और क्या नहीं
कौन जवाब आएगा कहाँ से ! मौसम बीतने के बाद

गोया ! न तब वो सोचते थे , न अब ही वो सोचते है
कहते है वो ; जिंदगी क्या जियोगे बीत जाने के बाद 


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shukriya , namaste ,  !!

ओंकारा गुरु तव शरणम




ओम गुरु ओम गुरु परात्परा गुरु ओंकारा गुरु तव शरणम् ओंकारा गुरु तव शरणम 


कभी कोई पानी जैसा तरल मिल जाये
फूलो जैंसा सुगन्धित सरल मिल जाये

जब किसी की मुस्कराहट में दिखे ओज
बोल लगे,आह ! ये दिल कीही आवाज़ है

जब  उठ चले  पीछे चलने का दिल चाहे
वो सोये  शांत सिरहाने बैठना दिल चाहे

विषय महीन बुद्धि शौर्य से बाहर जानो
दिल से अब मिला तर्कसंग से छू होजाये

प्रेम में स्नानं ह्रदय दीप स्वयं जल जाये
ऐसा आत्मन, स्व-भाव पकड़ यदि आये

जानना , ईश्वर की असीम अनुकम्पा है
दुखों से पार जाने का समय, आ चुका है

बुद्धिजीवी समझना यहाँ महीन भेद को
कील धुरी नहीं बंद या खुला फाटक  नहीं

इशारा करता सा  वो ज्ञानी एक दिशा को,
वो साधु तटस्थ मौन  निर्लिप्त खड़ा है

नहीं - नहीं ! गुरु कोई  बाह्य शब्द  नहीं
ये सहज अंतर तरंग प्रेरणा वार्तालाप है

रुको पल को देखो ,ग्राह्य को ग्रहण कर
अपने ही आगे के गंतव्य को बढ़ चलो

समर्पण  बाहर  नहीं  अपने अंतस्तं  का
आप ही गुरु बनो चेला भी आपै  कहावो

बाहर  के छद्म दिखावे  दिखाने मात्र को
सोचो-समझो, देखो-भालो, धोखा  कैसा !

खुद की लिखी करनी सब खुद ही भरणी
विधि ओ विधान बीच दूजा कहाँ समाये

परमपुत्र तुम एक अनोखे अपने को मानो
सारअसार का सार इत्ता ही  स्व को जानो

घमंड नहीं प्रेम करो समस्त जगत में तुम
तुममे ही समस्त  जगत का वास है जानो

बंधना  एक तरंग  एक उमंग  एक लहर से
फिर कहती हूँ शरीरतत्व  से कभी न बंधना

तत्व से तत्वगत कमिंयां सबमें ही पाओगे
बौधिक विषपान से क्या कभी बच पाओगे ?



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Wednesday 20 August 2014

ego plays minutely




O' , little drop of water  born from ocean of hopes 

you have to get merged  again , in own properties 
to be anything or become is disillusion & illusion 
drop to-self  fully wishfully completely in here now 

find ego runs  in thin & thick blood vessels in body 

in the form of white and red cells flowing with fluid
fixes in from of carbon inside my narrow dark veins 
no worry ! i'm able to mold carbon in diamond soon

O ' pretty smart  ego merged with my bone marrow 

simply one side she plays chess wid many unknown
otherside participants merely rotate on her fingertip  
both invisible to each,visibility through Lord's mirror 

wen i was child i get nourished  to stand self its ego 
wen i get young ,nourished to stand strong, kind ego
wen i get adult nourished to live smart among its ego 
wen i get old nourished to adjust smart even this ego 

dropping-down ego stands in different shapes colors
in the mean time , again smart catch her red handed 
No No not again ! do not play game Illusions ; to me 
I understands your Drama and Role altogether in life 

Now  understand play every-time in life, ego is rolling  
even myriad moments was presumed ; n't under Ego 
either  demand, rejection , suppression or in struggle 
now grasp it ; how I make puppet on your's fingertips

O' courageous ! enough play with divine-divinity also,
even melted down completely still brave resides in me 
n't more you're able hide yourself, exposed in moment 
Darling ! loves your  smartness , i'm smarter than you    

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छद्मी रहता असीमविस्तार-असीमसंकुचन में



विस्तार ने दिया सम्भावनाओ का असीम संसार 
विस्तार  से  चला  मन उडा  अनंत  के पार हुआ 
यहीपे बैठे बैठे निर्लिप्त जीव जगत के पार हुआ 

विस्तार के रथ पे बैठ  मनमयूर मगन  नाच उठा
विस्तार उड़ान  आसमान से ऊँची सागर से गहरी 
विस्तार के पंख लगा  मन की शक्ति ने ली गति 

नहीं दिखती यहाँ से मुझे  कोई दीवाल  कोई बाधा 
बना जाल धुंध से दिखता थोड़ा नीचे जो आये उत्तर 
मन-मस्तिष्क की उपस्थ्ति के अर्थ यहाँ भिन्न हुए 

ऊपर ह्रदय की दुनिया में तो इनके अर्थ ही अलग है 
संकुचन में भी और विस्तार भी इन्हीसे सिद्ध हुआ 
न कोई कालिख न कोई दाग कैसा अद्भुत ये संसार 

न कोई आवरण न कोई बंटवारा तेरा मेरा घर संसार 
न प्रभु बंटाछँटा न इस धरती के टुकड़े  बनते दीखते 
निरालापवित्र मनोरम मनोहारी शांत सुमधुर जीवन 

माया  मायावी संकुचन विस्तार आवरण जैसा छाया 
जिसके तले न  कुछ दिखता समझ न कुछ भी आता 
मायावी घने कोहरा तले चम-चम झूठा सूरज दीखता 

झूठा सूरज झूठे तारे  झूठे रिश्ते झूठे प्रेमसम्बन्ध सारे 
न - न , इनके बहकावे में न आना,नहीं एक आना सच 
माया घेरे से बाहर निकल देखो सचकी दुनिया का सच 

आह ! चमकता भव्य रूप दर्शन, नहीं ऐसा कही जैसा 
यहाँ देखा कोई शब्द नहीं बने वैसे, जो कर सके वर्णनं 
समझसके नहीं वैसा,अनोखा सबसे अलग विलक्षण है 

रूप कोई न रंग, न उसकी कोई पहचान,वो सखा मेरा !
संकुचित ह्रदयबीज में रहता विस्त्रित हो आकाशगंगा 
ऐसा  नाथो का नाथ, असीम अनंत अगाध परम मित्र 

इतना जान लो मान लो, कह सके सुन सके सुना सके 
इस संसार  में तो सामर्थ्य नहीं शब्दों में उसे बांध सके 
मौन हो जाओ  मौन में डूबो , आँखे बंद कर यही पाओ 

रूप में नहीं रंग में  गंध में नहीं, मंदिर मस्जिद में नहीं 
मकान दुकान बुद्धि मायावी मन कहीं नहीं वो मिलता 
अद्भुत छद्मी रहता असीमविस्तार-असीमसंकुचन में

मिला प्रेम के जीवित कणो में मिला वो उड़ती सुगंध में 
मिला आँखों  के जलते दीयों में आनंद की गहराईयों में 
पवित्र लौ के अत्यंतकिनारे पे महीना सा बैठा मिला वो  

झरने की फुहारों समंदर की लहरो में झलक दिखायेगा 
देखना उंचाई छूती चिड़ियों की उड़ानों हिरन कुलांचों में 
कहाँ बताऊँ? थक बैठ स्थिर हो; ह्रदय-संगीत में देखना  

सखा !अंतिम-प्रथमसमस्त संज्ञासर्वनाम में वो मिलेगा !
सखा !अंतिम-प्रथमसमस्त संज्ञासर्वनाम में वो मिलेगा !
सखा !अंतिम-प्रथमसमस्त संज्ञासर्वनाम में वो मिलेगा !


Love is the Light that dissolves all walls between Souls, 
Families and Nations. ~ Paramahansa Yogananda

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Tuesday 19 August 2014

एक बूँद मन




एक  बूँद  मन, थोड़ा सूखा सा और थोड़ा गीला सा 

प्रादुर्भाव - अंत तक भीगा कुछ सूखा अंतर्मन मेरा  

गीले मन को साथ लिए सूखे मन को छोड़ता गया 

सुखी हुई जिंदगी गीली जिंदगी से लुत्फ़ लेती रही 

सांप की हो केंचुल या के पुराने जीर्ण शीर्ण  खँडहर 

या इंसानी  दिल की जमीन और आसमानी मंजिले 



बूँद को स्रोत मिला,निकल ऊबड़खाबड़ रास्तों पे बहा

बढ़ता  कुछ चलता हुआ कुछ वाष्प बन के उड़ गया

भीगी गीली इकठी बूंदों को कुछ ने नदी तड़ाग कहा

तो किसी ने इन को अथाह समंदर का नाम दे दिया

यहाँ भी कथा का सार तो वोही सूखे और गीले का है

जो सुखा था वो उड़ गया, जो भीगा था वो रह गया



मिलनेबिछड़ने का अद्भुत कथासार और मैं सूत्रधार

वृक्ष की जड़ो से जा मिला, उसकी  नसों में बह गया

काँटों  में  बहा , फूल फल पत्तो से भी मिल के आया

वहां  भी  नज़ारा कुछ ऐसा ही देखने को मुझे  मिला

वृक्ष उनको अपने से बांध  सका जो हरे और भीगे थे

जो सूखे थे कुछ आँधियों में उड़ गए कुछ बिखर गये


गीले पत्ते कब टुटा करते है,सूखे कब रुकते ओ ठहरे है 

आँधियों में उड़ते तैरते असंख्य कणों की है ये दास्ताँ

सूखे तरंगित भाव अथवा  भीगे चिपके सीले से भाव

प्रकर्ति बाधित नियम है सारे कहना क्या सुनना क्या

जो गीले थे वो उड़ न सके , जो सूखे थे वो रह न सके

प्राचीन परिपाटी को जिस्म - दिल भी निभाता गया


बहते अनेक रास्तों से मिला ,अंततः जो उसके न थे 

कुछ दोस्त बने साथ चले सूखे खो गए गीले रह गए

जो मेरे थे, साथ यात्रा के साक्षी थे, गीले वो ही मेरे थे

और मैं भीगा सा गीले मन को साथ लिए बहता गया

छूट गए जो सूखे थे औ गीले रास्तो पे मैं चलता गया

कभी नदी कभी तड़ाग और समंदर  भी मैं बनता गया

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आप ही आप



आपने कहाँ-कहाँ कोशिश न की बताने की
ता-उम्र  मसरूफ रहे  अपने  अफ़सानों  में

नींद में सपनो में सोये जागे आँखों में आप
घरबाहर शक्लों अनुभव सबमें शामिल रहे

पर्वत-नदिया-दरिया संग  गुफ्तगू  आपसे
आँखें खोली या बंद की तोभी आपको पाया

समंदर धरती आकाशीय चमचमाते ये तारे
कहाँ जाते!आप को आपसे अलग कर पाते

कैसे नादाँ है जो कहते है खोजूं तरकीबों से
कैसे मगरूर खुद को चालाक समझने वाले

सोचा चलो थोड़ा और देखें दीदार ए नूर को
आँखे की बंद कायनात साथ आप आ गयी

यही सच हैअलावा कोई और दूजा सच नहीं
उसकेलिए  किसी तरकीब की जरुरत  नहीं

सारी तरकीबों को उतार फेंको मैल धो डालो
बुनो  बुनकर दोबारा साफ़  सुथरी चादर को

सराहो भाग्य कोअपने,प्रकृति के चुनाव को
परम की सोच को ओ इस जीवन बहाव को

कुछ नहीं करना  बस धोना है तन और मन
स्वक्छहृदयमंदिर तैयार दीपजलाने के लिए

स्त्री में, पुरुष में, बालक में, प्रेम में, भाव में
राग में, द्वेष में, क्रोध में, लोभ में, मोह में

राम कीशक्ति कृष्ण कीभक्ति सूफीकलाम
मीरा के भजन रहीम के दोहे कबीर के बाण

संज्ञा  से बाहर सर्वनाम में स्थित  यथावत
कर्मकांड नियम से बाहर भावकांड में पाया

शिवा शक्ति संयुक्त, कृष्ण और कृष्ण-प्रेम
समस्तजीवजगत में शामिल आप ही आप !




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Monday 18 August 2014

योगी सरलतम



वास्तविक  योगी  सरलतम फूल
योग सरलतम योगशाला जीवन

जानना यूँ की  कुछ जानना नहीं
पाना कुछ यूँ की सब खो डालना

सोना यूँ की योगी ज्यूँ जाग उठा
उठो यूँ बेगाना सब पहचाना नहीं

खाना यूँ की  निवाला आखिरी है
सांस एक एक लेना यु धीरे  धीरे

जीवन शक्ति  ये इस जीवन की
प्रेम यूँ करो  पहले खुद से महको

फिर महका दो सारे गुलशन को
मिलना यूँ की  जैसे एक जान हो

रहो जब तक जियो प्रेम के लिए
छोड़ चल देना जैसे पहचान नहीं

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Sunday 17 August 2014

time's calls




collect fragrances from flower
collect how to blooms in thorn

collect power from stand-rock
collect concept-flow from river

collect shower from dark cloud
collect colors rainbow's in skies

collect glare power from storms
collect beauty decor from earth

collect ephemera from moments
collect best  possible gleeful life

never put  negative in backpack
ample they've spot in land-wind

collect pearls from solemn ocean
finally moves-on be baggage-free


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Friday 15 August 2014

Happy-Feet



Sages, many wise souls,scriptures reminds  same
be with self, Cherish rhythmic own Breath and Life

Enjoy soul decors,  never enjoy body decorations
enjoy moments is a bliss, don't hang on emotions

Enjoy to be "yourself",  never cling even upon you
heard enjoy your work never enjoy your company

O' Gardner, enjoy work total but never relish fruits
On the land of heart roll the vehicle of Karma Only

Darling beautiful Soul! beware four type mind-web
feeling,perception,mental formation,consciousness.

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Wednesday 13 August 2014

जश्न किस बात का !


आज़ादी का जश्न मनाओ, गर्व से 
साथ में ये भी सोचो जरा ! 


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(१५ अगस्त २०१४ )

जब  से  होश  संभाला, लोगों की बेहोशी देख के 
वो ही घाव खुल गए,  लहू बहता है , दर्द होता है
मरने वालो के ऊपर कैसे जश्न मानते हो गर्व से
क्यूंकि हमारी आज़ादी के निमित्त ,क़त्ल हो गए
अभी ! जश्न किस बात का !

एक को उन्मत्त किया दूजे को शहीद दिवस दिया  
ये कैसा शातिर चौपड़ , खेल दिमागी शतरंज का
जो यहाँ  के वहां  क़त्ल हुए शहीद का झंडा डाला
वहां के यहाँ  क़त्ल हुए वहां शहीद का झंडा डाला
यहाँ ! जश्न किस बात का !

कुछ  वे  लोग, क्या जज़बा था ,क्या सैलाब था
जिसमे  बह गए जवान खून ,रुसवा  बेवाये हुई
अकारण यतीम  हो गयी संताने उनकी , सोचो !
या  वो आज़ादी दे गए, अगली गुलामी के लिए
अभी ! जश्न किस बात का !

ख़याल है क्या ! कसाई-हाथ लगे ईद के बकरे का
खौलते गर्म खून  गरजती गोलियों तले  बह  गए
मुल्कगत राजनीती ने  मासूमो  को  गल्प  लिया
यह कौन सा राग गा रहे पुष्पमालाये चढ़ा  रहे हो
यहाँ ! जश्न किस बात का ?

उस वख्त जूनून सवार था, आज भी वो ही हाल है
सीमा में  कतार से लगे वो फिर  काटने को तैयार
मनुष्य तब भी वोही था , मनुष्य आज भी वोही है
मस्तिष्क पुकार पे  निकल पड़ते उन्मत्त मतवाले
अभी ! जश्न किस बात का ?

जीनामरना किसने सोचा अजबगजब उन्माद तले 
इसी प्रमाद के कदमो तले शहीद इंसान आज भी है
कभी देश , कभी धर्म,  कभी वोट या कौम के लिए
कारन कोई  लगा दो मरते दोनों तरफ इंसान ही है
यहाँ ! जश्न किस बात का ?

इंसान ने इंसान को मारा ? बेवाये  आंसू लिए खड़ी 
जो जी सकते थे  जीवन ,जूनून ने उनको मार दिया
क्यूँकर नौबत आई ? विचारो  इस पर मंत्रणा करो
फिर जश्न भी मना लेना , गर हल कुछ मिल जाये
अभी ! जश्न किस बात का ?


राज-नेता  धर्म-नेता जूनून से काटते कटवाते रहेंगे
तुम कब सोचोगे  भीड़ के मदोन्मादी परिणामो को
जो सोच सकते है तनिक  दिमागी खेलो  चालो को
वो खुश हो नहीं सकते जलत्रासी नीति भरे नारों से
यहाँ ! जश्न किस बात का ?

यूँ तो जश्न के लिए एक पल का होना ही बहुत है 
साँसों  का चलना, होंठ_आँखों का हंसना  बहुत है 
जश्न तो धरती पे जन्म लेने का जीने का  नाम है 
जश्न  तो उन मिली बेमोल नियामतों का नाम है 
यहाँ ! जश्न किस बात का ?

इंसान को रहने दो इंसान की तरह जीने दो जीवन
उनको भी अधिकार है इंसानियत  पे और ख़ुशी पे
भीड़ को उन्माद मत दो, धर्म को राजनीती मत दो
देश को चलाने वालो , लोगो को विचार-मुक्ति दो
अभी ! जश्न किस बात का ?

सोचो जरा  ऊपर उठ के  इंसानो , इंसान की तरह
धरती  के गर्भ  से तुम उत्पन्न हुए औ फिर तुमसे
तुमसे जीवन खिले तुम भी सृजन के भागीदार हुए
सृजन से परे संहार  उत्पात  के  क्यो संयोजक हुए
यहाँ ! जश्न किस बात का ?

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Yeah ! Intoxicated-World extremely beautiful



Thinking  !  why Illusions are so beautiful
why Imaginations serves soothes to float

why ! life look good to lives in daydreams
So that wants sleep altogether open eyes

find same; drunker  drinks to intoxication
extreme body pains  give a feel of stupor

Afraid  to-get  while sleep on bed at night
awful unfulfilled wishes chases long along

in-wordily way , i woke-up along with mind
whatever i'd seen .. it's unchallengeable..

unknown voices cries scratches ear-drums
heart breaking scene comes in front of eye

Hands get forced to-feel those ugly touche
legs get heavy to move  ahead on life-road

tongue  wants  rest  but mind  doesn't allow
now Soul disconnected with mind complete

knows!drunken-dreams gives a life-moment
So what ! I'm on the right path of my destiny 

 In senses not able to see  any  charm within 
Yeah ! Intoxicated-World extremely beautiful


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वो बात यहाँ चंद लब्जों में बयां होती है

Experience of whole life when n where squeezed  in few words . think some peotry  has to be born ! ..amazing divine words  are below  written by Hasan Akbar Kamaal ... 


सबो रोज़ मौसम बदलते रहे
नए गम पुरानों में ढलते रहे ...

मोहब्बत, वफ़ा, दोस्ती, इन्क़ेलाब
खिलौने बनाये, बहलते रहे ....

खबर थी कि मंजिल नहीं है कोई
मगर हमको चलना था चलते रहे ...

चिराग़ अपनी आँखों में ख़्वाबों के रंग
जलाते रहे और जलते रहे ...

न बदला कभी बिकने वालों का रूप
खरीदार चेहरे बदलते रहे ...

~ हसन अकबर कमाल



below written few words : 

Words have own energy  though restricted as human limits  but able to leap in unknown territory
Poets are able to  express whole  in few words , its a power of poetic hearts >>

And my heart  says : 


 गोया आशिक़ों के दिल की दुनिया  है 

दिल-ए-दास्ताँ  अल्फाजो  में  बयां  होती  है 


जो   मोटी  किताबो  में  बरसों पढ़ा 

वो  बात  यहाँ  चंद लब्जों  में  बयां  होती  है


दिनों - सालों में बाल   सफ़ेद  किये 

यहाँ  एक पल  में  ही  ता_उम्र  फ़ना  होती  है 


हमको इश्क़ की फितरत  न समझा 

यही तो वो शय  है जो  निगाहों से बयां होती है 


नूर उस का दीवारों में क्या समेटोगे  

जर्रे जर्रे  में  मोहब्बत उसी से तो  बयाँ होती है



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