Monday, 28 April 2014

व्यापार एक ही व्यापारी से




आधा अधूरा बंजर बिखरा 

माया निर्मित जीवन सारा 


पल मे दिखता पल मे रीता 

कौन है कहता; सुनता कौन 



यहाँ पे कौडी कानी-कानी ,

यहाँ .. का खर्चा है बेमानी 

मोल होते.. जाते मिटटी के

यहां की दौलत अंधी होती 


यहाँ का लेना छद्म जैसा

यहाँ का देना छद्म जैसा

यहाँ की रस्मे छद्म जैसी 

यहां की रीतें छद्म जैसी 


बन्दों से नहीं जगत में,

तुझसे ही नाता जोड़ा है 

वो भी बस इक बार का 

इसपार या उस पार का


जिद्द अपनी भी मित्रवर !

तुझसे सीधा नाता जोडूंगा ,

नियम.. नहीं ..कोइ तोड़ूंगा 

व्यापार ,एक ही व्यापारी से 


जो देगा मुझे तु हीं देगा 

जो भी दूंगा तुझे ही दूंगा 

देना ..लेना ..दोनो हो पूरा

सम्पूर्णता का सम्पूर्णता से 





ॐ ॐ ॐ
 © All rights reserved

इक रोज


फूल गुलशन से रूबरू हुए 


बाग़ खुशबु से सरोबार हो गए 


बाग़ जो तेरे बोलों से मिले 

लब्ज़ इत्र कीं दो चार बूंद हो गए 


ये लब्ज़ तेरे गीतों से मिले

सुरमयी दिन महताब रात हों गए 


गीत जो कायनात से मिले 

नूरे जमाल कीं बरसात होगये 


नूरे इश्क़ अश्कों से जा मिला

वख्त एक शोला ए दरिया


 और हम आफताब हो गए 

और हम आफताब हो गए


Photo: इक रोज:
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फूल गुलशन से रूबरू हुए 
बाग़ खुशबु से सरोबार हो गए ....................

बाग़ जो तेरे बोलों से मिले 
लब्ज़ इत्र कीं दो चार बूंद हो गए ..............

ये लब्ज़ तेरे गीतों से मिले
सुरमयी दिन महताब रात हों गए ......................

गीत जो कायनात से मिले 
नूरे जमाल कीं बरसात होगये ..................

नूरे इश्क़ अश्कों से जा मिला
वख्त एक शोला ए दरिया.........................

और हम  आफताब  हो गए 
और हम  आफताब  हो गए.........................

ॐ ॐ ॐ


ॐ ॐ ॐ

 © All rights reserved

पुष्प की अभिलाषा / Pushp ki Abhilasha / Makhanlal chaturvedi

पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के

गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में

बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव

पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली

उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पर जावें वीर अनेक ।।

- माखनलाल चतुर्वेदी

Pushp ki abhilasha
Chah Nahi Main SurBala Ke Gehano Mein Goontha Jaaun

Chaah Nahi Premi Mala Mein Bindh Pyaari Ko Lalchaaun.

Chaah Nahi Samraato Ke Shav Par He Hari Dala Jaaun

Chaah Nahi Dewon Ke Sar Par Chadhoon Bhagya Par Itraun.

Mujhe Tod Lena Banmali, Us Path Par Tum Dena Phaink

Matra Bhoomi Per Sheesh Chadhane,Jis Path Jaayen Veer Anek.
-Makhanlal Chaturvedi

Saturday, 26 April 2014

इश्क़_समंदर (Ishq samander)

life is a celebration of music, love and dance!  love is God because it has all qualities of God , Because love is a cloth of God if we feel the touch of Love we feel God .... Immediate .... way may be differ , some may touch through another heart eg shiri-farhad or another may touch to God's heart (center ) direct eg sufi and saints like meera and rumi



समझना नहीं है मुश्किल 
samajhna nahi hai mushkil 
हमनफ़स, चन्द बहते फिसलते अल्फ़ाज़ का मतलब 

hmnafas , chnd bahte fislte alfaz ka matlab

खोजोगे तो खो जाएगा ,
khojoge to kho jayega
पकड़ना चाहोगे तो हांथों से मछली सा फिसल जायेगा 
pakdna chahoge to hnthos machli sa fisal jayega

सहेजोगे तो मर जायेगा ,
sahejoge to m_r jayega
बांधोगे झिलमिल सितारों सा खुल के बिखर जाएगा
bandhoge jhilmil siaron sa khul ke bikhar jayega

धरती को खोदने की नाकाम कोशिश 
dharti ko khodne ki nakam koshish
कुछ भी नहीं पाओगे , आकाश की अनंतता के सिवा
kuchh bui nahi paoge akash ki anant_ta ke siva

नाम देते ही बेनाम हो जायेगा 
naam dete hi benaam ho jayega
कोशिश भी नहीं कोइ करना , भूले से नाम देने की इसे
Koshish bhi nahi karna bhule se naam dene ki ise

ये नाम अहसास का
ye naam hai ahsaas ka
बहता है बहे , रुकता है रुके , चलता है चले ,मिले न मिले 
bahta hai bahe rokta hai ruke chalta hai chale , mile n mile

महसूस करो जीवन की ख़ुशबू 
mahsoos karo jeevan ki khushbu
साँसों से गुथा.. छुईमुई सा ..उम्र भर चलेगा, बहेगा, मिलेगा !
sanson se gutha .. chuimui sa... umr bhar chalega bahega milega

फूलों के बगीचे से इत्र की बूंद 
phoolon ka bagiche se itr ki boond
इश्क़ तो नाम है दूजा ख़ुदा का इबादत में और रूहों मे मिलेगा !
ishq to naam hai duja khuda ka Ibadat me aur ruhon me milega 


ॐ 
Om

Wednesday, 23 April 2014

बाधा डाले ... मिट्‌टी, यार!! (Bulle shah)



कैसा सुन्दर मिट्‌टी का बाग
kaisa sunder Mitti ka bagh

मिट्‌टी का घोडा, मिट्‌टी का जोडा,
Mitti ka ghoda , Mitii ka joda

मिट्‌टी का ही है घुडसवार।
Mitti ka hi ghudsawar

मिट्‌टी, मिट्‌टी को दौडाती,
Mitti , Mitti ko daudati

मिट्‌टी की ही है आवाज।
Mitti Ki hi hai Aavaz

मिट्‌टी, भागी मारने मिट्‌टी को,
Mitti Bhagi marne mitti ko

मिट्‌टी के ही है हथियार।
Mitti ke hi hai hathiyar

जिस मिट्‌टी पर ढोहते मिट्‌टी,
jis mitti pr dhote mitti

उस मिट्‌टी में है अहंकार।
us mitti me hai ahankar

उस मिट्‌टी से ही निर्मित है,
us mitti se hi nirmit hai

दुनिया भर के सारे बाग।
diniyan bhar ke saare bagh

देखने आई मिट्‌टी, मिट्‌टी को
dekhne aayi mitti ko

और देखने उसकी बहार।
aur dekhne uski bahar

हर्षोल्लास मनाकर मिट्‌टी,
harshollas manakar mitti

फिर मिट्‌टी बन हुई निढाल।
fir mitti ban hui nidhal

कहे बुल्ला उत्तर पूछो गर,
kahe bulla uttar pucho gr

धरा पर पटको अहम्‌ उतार॥
dharaa pr patko ah_m Utar

द्वारा - गुरुतत्व बुल्लेशाहजी। (१६८० ई. १७७८ ई.)."


Photo: बाधा डाले ... मिट्‌टी, यार !!
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कैसा सुन्दर मिट्‌टी का बाग
kaisa  sunder Mitti ka bagh

मिट्‌टी का घोडा, मिट्‌टी का जोडा,
Mitti ka  ghoda , Mitii ka joda

मिट्‌टी का ही है घुडसवार।
Mitti ka hi ghudsawar 

मिट्‌टी, मिट्‌टी को दौडाती,
Mitti , Mitti ko daudati 

मिट्‌टी की ही है आवाज।
Mitti Ki hi hai Aavaz

मिट्‌टी, भागी मारने मिट्‌टी को,
Mitti Bhagi  marne mitti ko 

मिट्‌टी के ही है हथियार।
Mitti ke hi hai hathiyar 

जिस मिट्‌टी पर ढोहते मिट्‌टी,
jis mitti pr dhote mitti 

उस मिट्‌टी में है अहंकार।
us mitti me hai ahankar 

उस मिट्‌टी से ही निर्मित है,
us mitti se hi nirmit hai 

दुनिया भर के सारे बाग।
diniyan bhar ke saare bagh

देखने आई मिट्‌टी, मिट्‌टी को 
dekhne aayi mitti ko 

और देखने उसकी बहार।
aur dekhne uski bahar 

हर्षोल्लास मनाकर मिट्‌टी, 
harshollas  manakar mitti 

फिर मिट्‌टी बन हुई निढाल।
fir mitti ban hui nidhal 

कहे बुल्ला उत्तर पूछो गर,
kahe bulla uttar pucho gr

धरा पर पटको अहम्‌ उतार॥
dharaa pr patko ah_m Utar 

द्वारा - गुरुतत्व बुल्लेशाहजी। (१६८० ई. १७७८ ई.)."

मेरे मन के मनके

सद्भाव और करुणा 


आनंद और सौंदर्य , 

आभार साथ प्रेम , 

मेरे मनके मनके ,


एक से बढ़के एक 

बिन बिन गिना 

गिनगिन पोरा 

माला की डोर 

चांदी का तार 

माला गिनु 

निसदिन 

प्रतीक्षा 

प्रभु 

 — 
Photo: मेरे मनके मनके:
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सद्भाव और करुणा 
आनंद और सौंदर्य , 
आभार साथ प्रेम , 
मेरे  मनके  मनके , 
एक से बढ़के एक 
बिन बिन गिना 
गिनगिन पोरा  
माला की डोर 
चांदी का तार  
माला गिनु 
निसदिन 
प्रतीक्षा 
प्रभु 
ॐ

Tuesday, 22 April 2014

मैं इक लेखक और कवि हूँ !! / and, I am The writer I am The Poet !

पृकृति मेरी हो स्वतंत्र 
अभ्व्यक्ति का अधिकार 
अस्तित्व मेरा विकसित 
बन तरंगित लिखे भाव 

भाव यदि आज्ञा मांगे !

ह्रदय यदि जकड जाये !
हस्त_बंध रचना युक्त
कैसा लेखक और कवि

जब भी ह्रदय भरभर जाये
लिखे तुझ तक न पहुंचाऊ
प्रिये ! कैसे स्वतंत्र कहलाऊं
मैं इक लेखक और कवि हूँ !!


Photo: पृकृति  मेरी हो  स्वतंत्र 
अभ्व्यक्ति का अधिकार 
अस्तित्व मेरा विकसित   
बन  तरंगित लिखे भाव 

भाव यदि आज्ञा मांगे !
ह्रदय यदि जकड जाये !
हस्त_बंध रचना युक्त 
कैसा लेखक और कवि

जब भी ह्रदय भरभर जाये 
लिखे तुझ तक न  पहुंचाऊ  
प्रिये ! कैसे स्वतंत्र कहलाऊं
मैं इक लेखक और कवि हूँ !!

Om Om Om

may i have independent nature 
with authority of free expression 
according developed personality 
should  write well in right Surges
if emotions ask for permission 
heart get tight knot of thin rope
creation mixed with boundaries 
of what sort  writer  and the  poet !

whenever emotions ask to flood 
if i can’t deliver proper to thou 
love ! how i call ever myself free 
and, I am The writer I am The Poet !

Saturday, 19 April 2014

Destiny


In flow , somewhere, some time 
we may meet  for some time 
again we get move ahead

In flow, somewhere, some time 
we may met  to  another way 
In another  frame  on another circle

In flow, somewhere, some time 
some time we  may get  Introduced  
some time we  may get  unacquainted.

In flow ,  somewhere , some time 
we may met in another color or shape 
would recognise  me  silently ! My destiny ..

Tuesday, 15 April 2014

मेरे स्वप्न सरीखे तारो के झुरमुट(alight on floor)

मेरे स्वप्नों से सुन्दर, 
प्रकाश से प्रकाशित ,
चमकीले टिमटिमाते 
तारो के झुरमुट .................
आओ सजो ! अँधेरे गलियारों में !

अंतर्जगत भी डेरा तुम्हारा ,
वैसा ही भव्य आलोकित ,
साम्राज्य है तुम्हारा , 
चमकते , टिमटिमाते, 
इस पल में लहराते ...................
अगले पल में लुप से खो जाते !

मेरे स्वप्न सरीखे 
एक से बढ़ के एक
चमकीले टिमटिम
तारो के झुरमुट ...................
उतरो आज मेरे मन के आँगन में !



Mērē svapnōṁ sē sundara,

Prakāśha sē prakāśita,
Camakīlē ṭimaṭimātē
Tārō kē jhuramuṭa.................
Ā'ō sajō! Andhērē galiyārōṁ mēṁ!

Antarjagata bhī ḍērā tumhārā,
Vaisā hī bhavya ālōkita,
Sāmrājya hai tumhārā,
Camakatē, ṭimaṭimātē,
Isa pala mēṁ laharātē...................
Agalē pala mēṁ lupa sē khō jātē!

Mērē svapna sarīkhē
Ēka sē baṛha kē ēka
Camakīlē ṭima_ṭima
Tārō kē jhuramuṭa...................
Utārō āja mērē mana kē ām̐gana mēṁ!















O my blinking sparkling stars ,

come on; gushed in my dark veins...

entire world is yours
e
qually inner or outer 



at this moment

sparkles bright you are


and sudden get disappears ......


O' twinkle stars ..


look alike my dreams


no one is less from another

shrubbery collected blinking stars

come on the floor on center of my heart ....


Tuesday, 8 April 2014

सच- झूठ तुम अपनी छन्नी से अलग कर लेना .....


Sunte hai bolte hi shabd jhoote ho jate hai 
fir bhi chup kaise rahe , chalo aisa karte hai 
bolte ..hum ...jate hai , apni ..samajh.. se 
sach jhoot tum apni channi se alag kar lena .....

सुनते हैं ; बोलते ही , शब्द झूठे हो जाते है
फिर भी चुप कैसे रहे , चलो ऐसा करते है
बोलते .. हम .. जाते है , अपनी .. समझ .. से
सच- झूठ तुम अपनी छन्नी से अलग कर लेना .....

I hear, as speaks the same words get false
However, how silent i will be , let's do this
We will speak as on my understanding
Truth - lies you have separated from your filter .....

खुदी के इंसान होने का अहसास हो गया...



its a story of Deceptiveness of settled water of Pond in which Moon reflect as real in disillusionment, and the moment of disturbances forms there ; in ripples it disappears .............

देखा जो उतरते हुए चाँद को अपने जिगर के.आंगन में ,
रक्स हो गया खुद पे की बरबा खुद  ही  ख़ुदा हो गया ....
अचानक एक पत्थर के..सतह पे..टकरा के गिरने से 

इंशाअल्लाह खुदी के इंसान होने का अहसास हो गया...

अस्तित्व ( Watery existences ) :


ख्यालों में !

उस अक्स के मिटते ही  हम नींद से जागे जैसे 
 बहती  तरंगित  लहरों में कुछ अक्स उभरे फिर से 
हम क्या है , क्या थे और क्या हो जायेंगे 

एक बानगी में हवा का झोंका उठा  और  बता गया 
कुछ देर के लिए ही है हम, यहीं थे और यही रहेंगे ,
कुछ देर के लिए  ही तू जहाँ है , वही से दिखेगा 

वो .. रक्स करता हुआ सा .. वो अक्स उभरा 
रात के .. सन्नाटे में .... दिल की .. गहराईओं में 
न सच था... न झूठ , सिर्फ .... वक्ती अहसास था 

न तेरा ... असमान पे तारों के झुरमुट संग होना सच 
ना ये मेरा .. यहाँ धरती पे हर वक्त का दिखना सच है,
सब वक्ती बहाव है जब तक भी है सिर्फ वक्ती बहाव है 

न तेरा दिखना सच था, न मेरा जल सा बीतता रिसता जीवन सच 
उभरेअक्स मिटते अक्स सब छलावा ही रहे मैं भी तो छलावा ही हु 
आज यहाँ नीचे हूँ तो कल ऊपर, आसमान में उड़ती नज़र आउंगी 

फिर कभी किसी पोखर में छुप जाउंगी;वहाँ से निकली गर कभीतो 
किसी डगर पे बलखाती फैलती सिमटती भागती कभी दिख जाउंगी 
फिर झूमती इठलाती दौड़ती भागती किसी और रूप में मिल जाउंगी 

इस बीच .. अधिक तीव्र चुम्बकीय आकर्षण ने .. अगर खींच लिया 
तो जाके वहाँ उसके ध्रुव पे ऐसे ही ऊर्जा का नृत्य करेंगे हम तुम 
क्या तेरा सच क्या मेरा सच ? व्यर्थ का प्रलाप और ह्रदय का नर्तन !



Monday, 7 April 2014

where earth is embracing to her only

The whole entity opens her love_force

water is flowing down collectively

where all water flow fall apart unitedly

clearly a magnet attracts to magnet 

Sky is the viewer of the beautiful show 

nature is blooming with her existence 

where earth is embracing to her only 



Lata Tewari's photo.




O my Soul , would you like to stay here !

मत बांधना मुझको

रंगों से सजा  कोई  इंद्रधनुष 


खुशबु बिखेरती  पुष्प श्रँखला 




बहती हुई  चंचल  बयार कह देना 


या के कहना लहराता नीला समंदर 




या फिर मुझे  फैलने  दो छत्र सा


अम्बर के इस विस्तृत आँगन में 


या  फिर ..  मुझको खो जाने दो


इन  नीली अथाह  गहराईयों में 




पर.. मत बांधना ..मुझे भूल से


किसी  एक  के मत  विचार से। 



बिखर जाने दो  मुझको  सब में 


या के  समां ले मुझे अपने में।  


                                                      Om Pranam 

फिर तुम्हारा ह्रदय न कांपेगा

फिर तुम्हारा ह्रदय न कांपेगा
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मध्य में  विश्वास  स्वयं पे 

प्रेम की ले डोर........ थाम 

हरा  रंग  डाल करुणा का 

और  गेरुआ  आभार का 

चल पड़ो सफ़र पे पथिक 

सर पे  अपनी गठरी उठा 










न पूछो किसी से  रास्ते का पता 

रास्ते  खुद मंजिल का  बयां होंगे 

गर  कोई मेहरबान मिल जाये

फिर वो मित्र  हो  या सम्बन्धी  

दो , सप्रेम  धन्यवाद   प्रभु का 

उस  क्षणिक  साथ के लिए .... 












श्रध्हा  हो तुम्हारी  श्रध्धेय   वास्ते  
या तुम में  श्रध्धेय नाम जुड़ जाये 

माया के  किसी भी  जाल में 

स्मरण  रहे  यह  सत्य सदा  ! 

नाम  पद  मायाजनित ठिकाने है 
मंजिल  सबकी फिर भी  एक है 









फिर तुम्हारा ह्रदय न कांपेगा 



ॐ प्रणाम

सदियों का सिलसिला

सदियों का सिलसिला 

चलो !  शुरू  करें , शुरू  से 

बारम्बार बंटते बिखरते हुए

रास्तों की दास्तान 

और हम बीच धार में बह रहे सदियों से 


एक धारा  ने जन्म लिया 

स्त्रोत एक और धारा  एक   

बह चली  चंचला जोर शोर से 

भागीरथी बह रही  इठलाती 

उमड़ घुमड़ बह चली

पर्वत से सागर की ओर 

समय बीता नए रास्ते 

कुछ  इधर बहे  कुछ  उधर बहे 

और हम बीच धार में बह रहे सदियों से......


जो गए उधर वो चले गए 

जो गए इधर वो भी चले गए 

जो साथ में  रह गए  बह गए 

फिर समय बीता चला

फिर रास्ते फूटने लगे 

कुछ इधर बहे कुछ उधर बहे 

और हम बीच धार में बह रहे सदियों से.....


ख़तम कहाँ सिलसिला  होता है 

जो साथ बहे  वो फिर बटें

फिर समय बीता  फिर नए रास्ते  बने

कुछ इधर बहे कुछ उधर बहे

और हम बीच धार में बह रहे सदियों से....


सदियाँ बदली कलेवर बदले 

नाम बदले  देस बदले  

भेस बदले रूप बदला 

अंग प्रत्यंग बदल गया 

धाराएं  बनी  उन धाराओ की शाख बनी

फिर शाखें बनी और वो भी बदली 

उन शाखाओं के भी  परिवार बने 

बनने  बिगड़ने के इस दौर में 

फिर समय बीता  फिर नए रास्ते  बने

कुछ इधर बहे कुछ उधर बहे 

और हम बीच धार में बह रहे सदियों से..... 


और हम बीच धार में बह रहे सदियों से.......

Om Pranam