Thursday, 29 May 2014

ॐ सर्वव्यापी सत्ता



आध्यात्मिकता के सन्दर्भ में
>

ॐ  गति  में 
ॐ विश्राम में 
  कल्पना में 
  पराक्रम में 
ॐ  हथेलियों में 
ॐ  स्पर्श  में   
ॐ  पदयात्रा  में 
ॐ  दृष्टि  में 
ॐ  श्रवण  में 
ॐ  जिव्हा  में 
ॐ  वाणी में 
ॐ  क्रंदन  में 
ॐ आहत  में 
ॐ अनाहत  में  
ॐ अनहद में 
ॐ  स्पंदन में 
ॐ  प्रेम में 
ॐ  ह्रदय मे
ॐ  भाव  में 

 श्वांस श्वांस  में आता  जाता ……  ॐ  को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......  को पाऊँ 



जीवकर्म के सन्दर्भ में >

ॐ प्रवाह में 
ॐ  कला में 
ॐ  विषय में 
ॐ  भोग में 
ॐ  वियोग में  
ॐ  श्रद्धा में 
ॐ  ध्यान में 
ॐ  कर्म में 
ॐ निष्ठां में 
ॐ प्रतिष्ठा में 
ॐ विश्राम में 
ॐ विश्वास में 
ॐ कल्याण में 
ॐ  व्यक्त भी 
ॐ अव्यक्त भी 
 ॐ की रचना  
  की कृतियाँ 
ॐ  का जीवन   

ॐ  की मृत्यु   ॐ  के बाहर ॐ  के अंदर  ……  ॐ  को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......  को पाऊँ 



स्व आत्मिक उर्ध्वता  के अर्थ में  >

ॐ  मान में 
ॐ अवमान में 
ॐ  सम्मान में 
ॐ  क्रोध  में 
ॐ  लोभ में
ॐ  व्यवहार में
ॐ  दुर्व्यवहार में 
ॐ  पीड़ाओं में 
ॐ  आंसुओं में 
ॐ  चीत्कार में 
ॐ  मंथन में 
ॐ  प्रयास में  
ॐ  कृत्य में 
ॐ अकृत्य  में 
ॐ क्षणभंगुरता में 
ॐ अमरता में 

 तृष्णा  की  झिलमिल  मृगमरीचिका  में सर्वव्यापी……  ॐ  को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......  को पाऊँ 



असारता  के सन्दर्भ में >

ॐ  प्राण में 
ॐ  वायु में 
ॐ  अग्नि में 
ॐ  जल में 
ॐ  मन्त्र  में  
ॐ  पत्थर  में 
ॐ  विस्मृति में   
ॐ  स्मृति में  भी 
ॐ  गर्भ में 
ॐ  कणकेंद्र में 
ॐ  पृथ्वीगर्भ में 
ॐ  सौरकेंद्र  में 
ॐ  ब्रह्माण्ड केंद्र  में 
ॐ  आकाश गंगा केंद्र में  
ॐ  नभ  की व्यापकता  में 

 ॐ  विस्तृत फैलावट में व्योम-केंद्र  बन  सर्वव्यापी……  ॐ  को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......  को पाऊँ 

पराविज्ञान  के सन्दर्भ में >
ॐ  वेद में 
ॐ  संहिता 
ॐ  उपनिषद 
ॐ  ऋषिवाणी 
ॐ  चराचार में 
ॐ  को समझूँ
ॐ  को जानूँ 
ॐ  को  पाऊँ  
  कण कण में
ॐ  ऱज ऱज में 
ॐ  रजकण में  
ॐ  हर रजकण केंद्र  में

ॐ   प्रस्थापित सूक्ष्तम्  अर्थ  में सर्वव्यापी……  ॐ  को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......  को पाऊँ 


परिवार के अर्थ में   >

ॐ  सत्य  में, साहस में 
ॐ  बुजुर्गों  के आदर में 
ॐ  कुटुंब  के  निर्वाह में  
ॐ  मातृत्व में, पितृत्व में 
ॐ  बालक में, साहचर्य में  
  प्रेम-कर्तव्य पालन  में , 
ॐ  रिश्तों की सुदृढ़ नीव में 
ॐ  साहसी संघर्ष  के ढंगों में 
  लौकिक भावों  के रंगों में 
  अलौकिकता की  सूची में 
ॐ  की सत्ता अमानवता  में भी 

ॐ  मानव  के  मानव  होने   में  सर्वव्यापी  ....   ॐ   को  देखूं  .......  ॐ  को जानू  ......   को  पाऊँ 

© All rights reserved

No comments:

Post a Comment