रास
वृन्द ! चलो एक गीत बनाये ..
मधुर , सा उस पे साज बजाएँ
दीप जलाएं सुरभित पुष्प चढ़ाएं
संग मिल होली के रंग बिखरायें !
और निखारें कुछ और संवारें
आओ मिल के गृहनींव बनायेँ !
भाव का छप्पर प्रेम की सांकल
वातायन हो शोभित सुवासित !
बाग़ बगीचे , खग के कलरव
खुशिओं के नर्तन गीतों के सुर !
देह मंदिर, दिया जला प्रेम का
दुइ बातिन की लौ एक बना के !
बांसुरी बज उठे बिन सुरतान
बोल फूंके हमारे उसमे प्राण !
आओ ! मिल के गीत बनायें ...
मधुर , सा उस पे साज बजाएँ
Om Om Om
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