Saturday 3 May 2014

रास

वृन्द ! चलो एक गीत बनाये ..
मधुर , सा उस पे साज बजाएँ 



दीप जलाएं सुरभित पुष्प चढ़ाएं 

संग मिल होली के रंग बिखरायें !



और निखारें कुछ और संवारें 

आओ मिल के गृहनींव बनायेँ !



भाव का छप्पर प्रेम की सांकल 

वातायन हो शोभित सुवासित !



बाग़ बगीचे , खग के कलरव 

खुशिओं के नर्तन गीतों के सुर !



देह मंदिर, दिया जला प्रेम का 

दुइ बातिन की लौ एक बना के !



बांसुरी बज उठे बिन सुरतान 

बोल फूंके हमारे उसमे प्राण !



आओ ! मिल के गीत बनायें ..
.

मधुर , सा उस पे साज बजाएँ 



Om Om Om


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