Thursday, 22 May 2014

मैं एक परिपूर्ण स्त्री हूँ , एक शक्ति हूँ ..



रहस्यवाद  वस्त्र है
माया मेरा श्रृंगार 
चलना  साथ मेरे
एक रहस्य के
साथ चलना है,
यह रहस्य
जब तुम्हे घेरे हो
तो उससे संवाद करो,
चुप मत रहो....
बोलो.....
जो भी बोलना हो,......
मैं  एक परिपूर्ण स्त्री  हूँ , एक शक्ति  हूँ 


मैं न रुकी हूँ
न ठहरी हूँ  कही ,
प्रकृति की सरलता ,
फूलों की सुगंध  
हिरनी सी चंचल  ,
नदी सी बलखाती 
समंदर  की गहराई हूँ
लहरों में मेरा ठिकाना है 
यही मेरा परिचय   है ...
मेरा फ़साना है ...
मैं  एक परिपूर्ण स्त्री  हूँ , एक शक्ति  हूँ ......


कुछ  बोलो
इससे पहले
देर हो जाये,
क्योंकि कुछ
यहाँ दुबारा
नहीं घटता,
मत जानो मुझे .......
पहचानो मुझे ..
जान न सकोगे
की कौन हूँ मैं 
अर्थ न  खोजो ,
सुगंध हूँ मैं 
न पाओगे कही
छूने  से  मुझे ...
मैं एक परिपूर्ण स्त्री  हूँ , एक शक्ति  हूँ 


लेकिन फिर भी
मैं सदैव तुम्हारे
साथ परिपूर्णता में
उपस्थित  हूँ
मैं  तुम्हारे
प्राणों को
शुद्ध करती ,
करती तुम्हारी
आत्मा को सशक्त 
और  तुम्हारे
अस्तित्व को अर्थवान...
मैं एक परिपूर्ण स्त्री  हूँ , एक शक्ति  हूँ


यदि पहली बार
मुझे अनुभव
न कर पाना  
तो  भी उत्साह
और पहचान की
आशा  न खोना ,
तुम्हारे  ही  साथ
तुम्हारी   हिम्मत
बन के मैं  वही
ठहरी हूँ .. आज भी ..
तुम्हारी   ही   प्रतीक्षा में ...
मैं    ...  एक परिपूर्ण स्त्री  हूँ ,   एक शक्ति  हूँ......
(written in 2012 )

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