Saturday, 10 May 2014

ऐे चाँद !





ऐे चाँद ! उतर जऱा दिल मे एक बार सही 

इबादत ए तूफां का जोर ; जरा देख सही


इंतज़ार ए शोहरत इस कदर है इधर भी

इश्क़ की मेरी चादर जरा तु भी ओढ़ सही


खुशगवार  चांदनी रौशन है इस कदर

तरन्नुम ए तबस्सुम ;जऱा पी तो सही


रक्स न कर फकत अपने नूर अक्स पे ;

ख़ूबसूरत रौशन इक चिराग इधर भी है


सिर्फ एक तु ही नहीं है वफाओ की मिसाल

रौशन इबादत इधर भी है जरा देख तो सही

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