ऐे चाँद ! उतर जऱा दिल मे एक बार सही
इबादत ए तूफां का जोर ; जरा देख सही
इंतज़ार ए शोहरत इस कदर है इधर भी
इश्क़ की मेरी चादर जरा तु भी ओढ़ सही
खुशगवार चांदनी रौशन है इस कदर
तरन्नुम ए तबस्सुम ;जऱा पी तो सही
रक्स न कर फकत अपने नूर अक्स पे ;
ख़ूबसूरत रौशन इक चिराग इधर भी है
सिर्फ एक तु ही नहीं है वफाओ की मिसाल
रौशन इबादत इधर भी है जरा देख तो सही
No comments:
Post a Comment