तुम भी बुद्धा हो सकते हो
बैठ वृक्ष से बातें चन्द करो !
गिरती सहज वृक्ष छोड़ती
पीली सूख झरती हुई पत्ती
प्रकति से दोबातें करके देखो
पूर्णस्नेह उसपे लूटाके देखो
जन्ममृत्यु जिज्ञासा वेदना बन
खट-खटाये द्वार ह्रदय का
स्वीकृतिसंग मरामरा कहकह के
तुम ऋषिमुनि हो सकते हो
जन्म मृत्यु रहस्यो को भेद के
तुम भी जीसस हो सकते हो
उसपार की छलांग लगा के देखो
तुम भी कृष्णा हो सकते हो
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