मधुशाला
प्रियतम तेरे प्रेम की
कहते है " जबकृष्णा की बांसुरी बजती है तो
राधा ~रानी सुख की नींद सोती है " और
घंटा-घड़ियाल,मृदंग,शिवडमरू की टंकार
मानव लौकिक चेतजागरण के आधार
घंटा-घड़ियाल,मृदंग,शिवडमरू की टंकार
मानव लौकिक चेतजागरण के आधार
ये सुख की नींद जो है राधारानी की
मानव की लौकिक-जागृत-चेतना
है ! समस्त माया का विस्तार
मानव की लौकिक-जागृत-चेतना
है ! समस्त माया का विस्तार
समाया हृदयस्थल में।
इस निद्रा में पीड़ा
खेल संवाद
सारे भय
विध्वंस
दुर्घटना
भूकम्प
विछोह
अवसाद
सौंदर्य
सर्जन
~प्रेम~
भूकम्प
विछोह
अवसाद
सौंदर्य
सर्जन
~प्रेम~
मिलन
नर्तन
संगीत
सुगंध
मधुमास
लास्यलीला
सुगंध
मधुमास
लास्यलीला
समस्त कला
सांसारिकनिद्रायुक्त
अनाहत का संगीत ही तो है
कृष्णा की बांसुरी की धुन ही तो है,जिसकी
मधुर तान सुन राधारानी को सुखद नींद आती है
मधुर तान सुन राधारानी को सुखद नींद आती है
और तुम हो कहते हो कि लोग मर के चिरनिद्रा में जाते है
कैसी माया कैसा अज्ञान! तुम तो अभी चिरनिद्रा में ही नजर आते हो
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