सब जानते है सलीका हुनर भी है
फिर वो दोबारा दोहराना
अच्छा लगता है ...........
आदतन उड़ती धूल रोज बैठती है
दामन से उसे हटाना
अच्छा लगता है .............
मालूम है उधर से रास्ता है साफ़
फिरभी इधर से बच के चलना
अच्छा लगता है ..............
रोजमर्रा की कोशिशो में शामिल
सूखना फिर भीगना
अच्छा लगता है .............
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