फैली हुई बिसात पे चलते चलते
खुद की बिसात से सामना हुआ
प्यादे की तरह बढ़ते कदम और
वो कहते रहे की मंजिल सामने है
कहते रहे ; बस एक कदम बढ़ा लो
और मंजिल खुद सामने खड़ी होगी
इन निर्देशन को मानते हुए कई बार
श्रेष्ठ दस की श्रद्धा में आकंठ प्यादे
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