Monday, 1 September 2014

भाव-गंगा-स्नान




माया जीवन  माया मृत्यु  
माया पार कब कहाँ कौन 
माया  पार दृष्टि न  सोच 
भटकन है शरणागत मौन  

माया  धरा  माया अम्बर 

माया  पवन माया  वृष्टि 
माया नीरद   माया  प्राण 
माया पूजन  माया भरम 
माया छलना माया तृष्णा 
माया  भाव  माया कृष्णा 
माया  राधा  माया  काल 

माया आंसू माया मुस्कान 
माया ममता  माया  क्रोध 

माया त्रास  माया चीत्कार 
माया  मन  मायामय तन
माया  बुध्हि  माया  जीव 
माया  माया को क्या देगी 
भ्रम से भ्रम  कट  पायेगा !

रे ध्यान ले चल मन के पार 

बुद्धिजगत से ले चल यार 
शांतभाव से अंदर दीपजला 
भाव गंगा में जरा स्नानकर 



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