Thursday, 18 September 2014

जिंदगी क्या है !



जिंदगी क्या है !अनुत्तरित उत्तरित 


किसी ने कहा   रंग 
किसी ने कहा वख्त 
किसी ने कहा दर्शन 
किसी ने कहा  दृश्य 
किसी ने कहा भक्ति 
किसी ने कहा शक्ति 

मुझे तो मिली
सांस-सांस झरती 
पलपल फिसलती 
कैप्सूल में बंद। ...
खुशबु बिखेरती 
सौंदर्य में जीती

नम वो पानी सी 
राख जो रेत सी
तिल तिल घटती 
पल पल बढ़ती 
जिंदगी ये जिंदगी 

आसान बुद्धि के लिए
जटिल अनुभव के लिए 
सरलतम बहाव के लिए

Om

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