Thursday, 30 October 2014

गुह्य ह्रदय प्रदेश






शांत जल वो जिसमे
समयिकउछाल नहो 
सतआनंद सुख नदी 
सुख दुःख बहते नहो 

झंझावात से निरापद
स्व अग्नि  प्रज्वलित 
आत्मज्ञान  केंद्र  बन  
अब जीवन सरलतम

तेरा आभार बारम्बार 
जो ज्ञानदीप जलाया 
अन्धकार  की  छाया 
नहीं,दर्पण नहीं माया 

संतुलित  प्रज्वलित
एक  स्थिर लौ  दीप 
गुह्य ह्रदयप्रदेश का 
हुआ कम्प  सुरक्षित 


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