शांत जल वो जिसमे
समयिकउछाल नहो
सतआनंद सुख नदी
सुख दुःख बहते नहो
झंझावात से निरापद
स्व अग्नि प्रज्वलित
आत्मज्ञान केंद्र बन
अब जीवन सरलतम
तेरा आभार बारम्बार
जो ज्ञानदीप जलाया
अन्धकार की छाया
नहीं,दर्पण नहीं माया
संतुलित प्रज्वलित
एक स्थिर लौ दीप
गुह्य ह्रदयप्रदेश का
हुआ कम्प सुरक्षित
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