Friday, 17 October 2014

चतुर मन की चाल



मस्तिष्क साथ तालमेल

चतुर मन की चाल का हो जाये

तन जैसा मन भी दीन

जरुरी नहीं गरीब नजर आये !

वस्त्रो की कमी हो 

कपड़ो का आकर्षण बढ़ जाये !

जब भूक लगी हो तो

बस  खाने  को मन छटपटाये !

जब प्यास जगे तो

बस  पानी  ही पानी  रह जाये !

जब लौ उठ जाये तो

परम से  मिलने को हो आतुर !

प्रेम से खाली हो जब मन

प्रेम ही प्रेम हर सु नजर आये !

पानी भी वही भरता

जहाँ धरती पे गड्ढा नजर आये !

जो भाव-घर खाली हो

वो भरने को आतुर नजर आये !

तेरा कौन सा घर खाली

मौलामौला पुकारता नजर आये !

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