Saturday 18 October 2014

सुना है !

दैत्य और देवता समाज में ; मानव तेरा अस्तित्व ! 

कल  दहशतगर्दों  ने संग मिल-जुल के रेकी की !
कुछ   दम होगा  जरूर  उनकी  भी दुआओं  में !!
उनकी भी अपनी है, ख़ुदा से संपर्क की विधियां !
सफल उपद्रव करते, प्रार्थनायें सुनी जाती तो है !

हमारे  सदृश  अंधविश्वासों में वे भी  गहरे रहते
धन संग  मिल वे   भी अपना माया-दुर्ग है रचते
शक्ति  प्रदर्शन  होता  एक मात्र  औजार उनका
अपना शासन, अपने नियम, अपना अत्याचार

जल-तत्व अग्नि-तत्व संतुलन में पलते जीवन
छोटे बड़े चक्र और चक्रों के होते यहाँ भी चक्कर
अग्नि-तत्व प्रधान तो समझ संग बहा लेजाता
जलीय-तत्व प्रधान तो  भाव संग खेलता जाता

लिखा पीड़ित  पूर्व ऋषियों ने तुम भूले शायद
दैत्यों की दुआओं में, बर्खुर्दार ! खासा असर है
दैत्य गुरु , सेना, देश-राज्य और रुतबा उनके
उनके  भी भगवान पूजा श्रद्धा इमां बने होते
दुनियावी  दस्तूरों में न उलझे मन तो अच्छा !
लौकिक  प्रपंच पूजाभाव  सच क्या ! झूठ क्या
वृत्ति अनुसार  कृत्ति  हर-सू फलती पायी जाती
ऊर्जामय  संसार में सही क्या और गलत क्या !

मध्य हो स्थिर मायाखेल जान !  तू माया पार
दैत्य देवता के मध्य खड़ा तू  मात्र मानव हुआ
सभी भाव  भ्रमित होते सभी इंद्रियक अनुभव
कर्म-प्रवृत्ति संग बैठ  प्रारब्ध बना भाग्यरचेता 

1 comment:

  1. The Hindu holy text, the Bhagavad Gita, speaks of the balance of good and evil. When this balance goes off, divine incarnations come to help to restore this balance.

    ReplyDelete