दैत्य और देवता समाज में ; मानव तेरा अस्तित्व !
कल दहशतगर्दों ने संग मिल-जुल के रेकी की !
कुछ दम होगा जरूर उनकी भी दुआओं में !!
उनकी भी अपनी है, ख़ुदा से संपर्क की विधियां !
सफल उपद्रव करते, प्रार्थनायें सुनी जाती तो है !
हमारे सदृश अंधविश्वासों में वे भी गहरे रहते
धन संग मिल वे भी अपना माया-दुर्ग है रचते
शक्ति प्रदर्शन होता एक मात्र औजार उनका
अपना शासन, अपने नियम, अपना अत्याचार
जल-तत्व अग्नि-तत्व संतुलन में पलते जीवन
छोटे बड़े चक्र और चक्रों के होते यहाँ भी चक्कर
अग्नि-तत्व प्रधान तो समझ संग बहा लेजाता
जलीय-तत्व प्रधान तो भाव संग खेलता जाता
दैत्यों की दुआओं में, बर्खुर्दार ! खासा असर है
दैत्य गुरु , सेना, देश-राज्य और रुतबा उनके
उनके भी भगवान पूजा श्रद्धा इमां बने होते
लौकिक प्रपंच पूजाभाव सच क्या ! झूठ क्या
वृत्ति अनुसार कृत्ति हर-सू फलती पायी जाती
ऊर्जामय संसार में सही क्या और गलत क्या !
मध्य हो स्थिर मायाखेल जान ! तू माया पार
दैत्य देवता के मध्य खड़ा तू मात्र मानव हुआ
सभी भाव भ्रमित होते सभी इंद्रियक अनुभव
कर्म-प्रवृत्ति संग बैठ प्रारब्ध बना भाग्यरचेता
The Hindu holy text, the Bhagavad Gita, speaks of the balance of good and evil. When this balance goes off, divine incarnations come to help to restore this balance.
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