Friday, 31 October 2014

पल



जो जहाँ  हो 
रुको वहीं पे 
ठहर जाओ 
इस पल में

न  कुछ हो
न  होने दो 
नूर  बरसा
इस पल में

छिपी गुदड़ी 
के लाल  सी
जिंदगी पूरी 
इस पल में 

थी वो साँस 
आती जाती 
बेरोक टोक 
पल पल में

इस घडी में 
जाते  जाते
गयी अटक 
एक पल में

अच्छा हुआ 
जो  जिंदगी 
जी थी खूब 
उस पल में

आजतो बस 
बाँध  गठरी 
चलना हुआ 
इस पल में

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