घर्षित कंठ
उभरते शब्द
शब्दों के सँग
उभरते भाव
एकैक सर्वत्र
ऊर्जावानजग
उर्वरक_योग
तड़ित घर्षण
जलद व्योम
घर्षण योग
ज्वालाबहती
वाष्पितमंडल
सर्द हिमवान
एकैक सर्वत्र
ऊर्जा स्नान
कभी बिजली
कभी तूफान
कभी बयार
गर्जन प्रचंड
तड़ित तड़क
अग्नि अणुतं
सुलगते वन
पुनः जन्मते
जीवन संयोग
एकैक सर्वत्र
कोयल गान
सुवसित तान
खिलते पुष्प
खग कलरव
रुनझुनपायल
आँगन मध्य
दौड़ता बाल्य
ओज संयुक्त
एकैक सर्वत्र
वाणी सुन्दर
कंठपवन का
घर्षण सुन्दर
चकमकसुंदर
समस्त ऊर्जा
अंकन सर्वत्र
लघुतम सत्ता
दीर्घतमयोग
एकैक सर्वत्र
अपनी यात्रा
में रहते तुम
जीवन पूरा
जीते जाते
क्षण विचार
शवपरिणाम
दो शवास्थि
ले पूरा करते
अंत_संस्कार
शेषतत्वभूति
मिलती पुनः
तत्वजगतमें
एकैक सर्वत्र
ऊर्जासंयुक्त
मिले -बिखरे
कहाँ - कहाँ
ऊर्जा -- कहाँ
तत्व -- कहाँ
कोई - दफ़न
जला - कोई
तो बहां कोई
कोई पर्वत में
कोई नदी में
तो समंदर में
स्वयं विचारो
ऐसा ही मूल
एकैक सर्वत्र