इस चोटी पे वो कुछ नहीं दीखता
जो कभी सुना था पढ़ा जाना था
from that top never those seen
as we heard once or read and known
यहाँ इस ऊंचाई पे हूँ अकेला खड़ा
अपने खोखले अस्तित्व के साथ !
here on this height i am alone
with myself hollow existence
बस एक वो है सामने एक मैं हूँ
वो भी तब तक जब तक खड़ा हूँ
one thy is in front i am one
only till whenever i am stand
सूखे ढांचे के साथ इस धड़कनो से
माला के मोती पिरोना चाहता हूँ
with dry skeleton this heart beats
want to make garland of pearls
कहना चाहता हूँ वो जो सब सुना
पढ़ा जाना वो ऐसा बिलकुल नहीं
want to say whatever all heards
read and known thy is not similar
बहुत परे वो तुम्हारे धर्मशास्त्रों से
गाई अजानो, सूली पे टंगे क्रास से
much away your's holy scriptures
sung prayers and hand over cross
कबीर ,रूमी , उस्ताद मीरदाद को
दिल से "दोस्त" कहना चाहता हूँ
Kabir rumi and Guru meerdad
from heart want to say "friends "
No comments:
Post a Comment