सफर
तेजी से दौड़ते भागते वक्त ने
जरा थम के...गहरी सांस भरी
हरबार हरमोड़ पे खुद से मिले
पहले अनजान थे पहचान हुई
फिर घनिष्ठता घटी और फिर
अंजान बन गए ज्यूँ मिले नहीं
कुछ सोच एक औरगहरी सांस
इस बार साथ.. साथ..चल पड़े
अंजान राह के अंजान सफर पे
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