Saturday, 30 August 2014

स्वागत - सम्मान




जो  तूने  दिये सहारे जीने को 

किसी  नियामत  से कम नहीं 
होने  की कीमत नहीं समझते  
कैसे नादाँ वो जो है नहीं देखते 

चाँद  तारों  की चमक देखते है 
सूरज को  रौशन देख जलते है 
दूर तड़कती बिजली लुभाती है 
नहीं  मिलता  उसी में  जीते है 

नजरे झुकाके दिल नहीं देखते  

जो  वो देखने का शऊर देता है 
दिल  से सम्मान  निगाहों का 
जिनसे  इतना  कुछ देख पाये 

सम्मान  उन  ताकतों  का जो

जितना अहसान  माने कम है  
सुगन्धित प्रेमोपहार जीने को 
भाव  अहसास  का भी दे गयी 

इन  साँसों  की माला में पिरो 

जीने  का  हौसला वो दे  गयी 
स्वागत  उन  सभी  पलों  का 
सम्मान समस्त  उपहारों का 

 © All Rights Reserved

No comments:

Post a Comment