Saturday 9 August 2014

कोशिश तो कीजिये !



हम तो बस लिख देते हैं जहन में आ जाता है जो, 
......जुड़ जाता है आपके दिल से तो बस इत्तेफाक समझिये...!

written by  Sudeepkp Singh ji

(thank you so much dear friend! for inspiration )

लम्बी कड़ियों की फैली बिसात में कुछ मालूम हुआ ओ कुछ नहीं
  सब कुछ यूँ हि तो नहीं, इत्तिफ़ाक़ के खिलौनों से न खेला कीजिए !

जिंदगी की डोर नाजुक बहुत है, उस पे कदम जरा संभाल डालिये 
 आपकी  मस्तानी चाल नशे में धुत्त है, मगरूर  खुद को संभालिये !

  लम्बी  दास्तान  का कड़ीबंध सिलसिला है, हमारा आपका मिलना 
   बेहोश होने से पहले, मदहोश होश में आने की कोशिश तो कीजिये !

   गिरने का क्या है ऊँचे चट्टानी ढलान से गिरे, तो फिसल ही जायेंगे 
  पर फिसलने से पहले कदमो जरा  ज़माने  की कोशिश तो कीजिये !
  
वक्ती मोहब्बत  की खुशबु उड़ आसमां में फैलते वक्त लगता नहीं
 समय रहते  हमने आपको समझाया नहीं, फिर न कहना ; देखिये !

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