हम तो बस लिख देते हैं जहन में आ जाता है जो,
......जुड़ जाता है आपके दिल से तो बस इत्तेफाक समझिये...!
written by Sudeepkp Singh ji
(thank you so much dear friend! for inspiration )
लम्बी कड़ियों की फैली बिसात में कुछ मालूम हुआ ओ कुछ नहीं
सब कुछ यूँ हि तो नहीं, इत्तिफ़ाक़ के खिलौनों से न खेला कीजिए !
जिंदगी की डोर नाजुक बहुत है, उस पे कदम जरा संभाल डालिये
आपकी मस्तानी चाल नशे में धुत्त है, मगरूर खुद को संभालिये !
लम्बी दास्तान का कड़ीबंध सिलसिला है, हमारा आपका मिलना
बेहोश होने से पहले, मदहोश होश में आने की कोशिश तो कीजिये !
गिरने का क्या है ऊँचे चट्टानी ढलान से गिरे, तो फिसल ही जायेंगे
पर फिसलने से पहले कदमो जरा ज़माने की कोशिश तो कीजिये !
वक्ती मोहब्बत की खुशबु उड़ आसमां में फैलते वक्त लगता नहीं
समय रहते हमने आपको समझाया नहीं, फिर न कहना ; देखिये !
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