Saturday 9 August 2014

उसी वख्त से कहते हो थोड़ा वक्त तो दो।




Awakening !! 

My friend , respected   Batra AK ji  says :
( thank you so much dear friend ! for inspiration )

आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;

रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;


कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;

कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;

तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ;


its Reply for all .... 
cos its unique and fit to almost every fast running lives :
be careful , more alert , more aware and be wise ..



 सुना है कहते है तड़प के जिंदगी से;सुनो,जरा ठहरो ! जरा ठहरो 

  कहते थे अपनों से , फिर कभी फुर्सत में कहना अभी वख्त नहीं। 


 जिंदगी यम की रफ़्तार अपनी कहना सुनना उसको बेकार ही है,

इतना तो उसको भी पता है काम किसी का कोई पूरा होता नहीं।


दिल को बहलाना और फुसलाना काम है इंसानी ख्वाहिशों का

  समय की लाठी में आवाज़ उसके कानून में मुरव्वत होती नहीं। 


वो ही कहते है बेचैन हो के वख्त गुजरजाने के बाद कर्ज चूका लू

   फ़र्ज़ निभालूँ बहते आंसू पोंछ थोड़ा समझा तो लूँ जरा अपनों को। 


वख्त था, उम्र बीती वख्त की चाल और अपने छल समझने में

   दिया तो है वख्त सभी को परमात्मा ने इन्साफ से नाप जोख के। 


कैसे नासमझ हो ! जिसे खर्च कर डाला कौड़ी समझ खेल डाला

 बेपनाह, बेशकीमती , उसी वख्त से कहते हो थोड़ा वक्त तो दो। 


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