Saturday, 23 August 2014

अबोध



उफ़ !

ये कहाँ आ गया !
मौज में उड़ते उड़ते
उड़ान के वख्त का
पता ही नहीं चला
पंख फैलाये  और
थोड़ा बदन सिकोड़ा
उड़ चला ऊँचे अस्मां को छूने
संगी साथी भी तो  संग उड़े थे
मगन हो खुश हो रहे थे ,
गीत गा रहे थे
साथ साथ पेंगे भर रहे थे


उड़ा के ले चली हवाएँ
ऊपर और ऊपर
संगी बंधू थे साथ मेरे
गलियों सड़को  से ऊपर
नदियों बागो से ऊपर
उन्नत पर्वत से ऊपर
हवाओं संग बादलों से ऊपर
आकाश अनंत  गहरा
नीला अथाह सीमित
वख्त ने करवट बदली
मौसम का मिजाज बिगड़ा
तेज हवाएँ
बिजली चमकी
पानी बरसा
तुफानो  में घिरे हम
कहाँ गए प्रिय संगी साथी
कोई क्यों नहीं दिखता

सब छूट गए
पीछे रह गए
या बिछड़ गए
घबराहट  तो है
पर साहस भी है
शक्ति पे भरोसा  भी
धरा पे बयाँबान अँधेरा
रात्रि ने कालिमा फैला दी
दिशा का ज्ञान नहीं
थोड़ी थकन भी
बेचैनी भी है
कहाँ खड़ा हूँ
कहाँ जाना है
कितना दूर उड़ना है
थोड़ा नीचे उतरू तो
जगह का पता मिलेगा

आह !

ये तो घनघोर निर्जन वन  है
घातक आवाजो  का शोर है
जीवन  बचेगा ! शंका है !
हताशा से घिरा मैं
सिर्फ प्रार्थनाये साथ है
वो ही तो सम्बल बनेंगी
थोड़ा विश्वास जागेगा
विश्वास  अंदर  के डर को मरेगा
डर जब मरेगा  तो उत्साह जागेगा
उत्साह से ही तो ऊर्जा का  संचार होगा
ऊर्जा  से पुनः  उड़ान भर सकूंगा
अपने घर को जा सकूंगा
शायद बिछड़ों से
मिल सकूंगा !
आशा है !

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2 comments:

  1. its non systematic hindi short story - poetry says ; Innocence of the Soul in the name baby bird whose wander in the dense forest of world , under actualities. her fear and her courage is amazing and inspirational , Zeal to get out with the help of prayers .. is amazing !!
    thanks and regards

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  2. you may find collection of selected poems here also http://allpoetry.com/poems/by/Lata

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