Saturday, 2 August 2014

छोटी राहतें तो दो !



बड़ी  बातें  अभी  न  करो 

छोटी  राहतें तो  दो !  

आसमान भी घूम के आएंगे  

पैदल चलना तो  हो  !

शामिल रफ़्तार भेड़-दौड़ में

पहले संभलना तो हो  !

एक दिमाग,दो आँखें ;बस !

दुगुने  चौगुने  तो  हो !

अखंड मौन भी साध लेंगे

बात ये खंडित  तो  हो 

दुनियां से सीधे निपट भी लो 

खुद  से  सीधे  तो  हो !

ता-धरती की दौड़ लगाते हो 

भीतर  भी  दौड़ो  तो !

दुसरो की ठगी  से बचते  हो 

खुद  से  बच  सको  तो !

रास्ते बाहर  मिल ही जायेंगे 

अंदर का रास्ता जो हो !

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