लम्बे लिखे पन्ने कहाँ तक खँगालोगे
शुरुआत समझो वही, जहाँ से पन्ना खुले
मध्य बिंदु भी हुआ विस्तृत अनंत
धरती नवग्रह सहित गैलक्सी भी मध्य है
आरम्भ और अंत नहीं तुम पाओगे
स्रोत वहीं पे जहाँ शीतल जल स्नान मिले
मेरे अजीब देश की गजब रवायत
चले थे बीच से,आज भी खड़े बीच में ही है
ॐ से आरम्भ ॐ पे ही हुआ अंत
बीच में क्या गुजरा,याद नहीं अब भूल गए
इस पल में इस पल को जीते चलते
एकएक कदम साथ,फासला कुछ कम तो है
Om
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