Tuesday, 4 November 2014

बाह्य-स्पर्शसूत्र






नजरें बदली दिखते नज़ारे बदल गए 

सोच समझ  के सारे दायरे बदल गए

ऊँगली तिरछी हुई तो कजां बन गयी 

ऊपर को  उठ गयी तो दुआ बन गयी

मुठी कस बन गयी तो सँकल्प जीउठा 

उठाअंगूठा दृढ़ हो दृष्टा  केंद्र को चला

एक दृश्य, एक इशारा, एक ही संकल्प 

तीनऊँगल, भीतर चलो,समझाती रही

ऊपर उठा अंगूठा  संपर्क सूत्र  बन गया 

तीसरी बाह्य-स्पर्शसूत्र इशारा बन गयी



ps : बाह्य-स्पर्शसूत्र  = एंटीना

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