माया माया को रोती
माया माया को धोती
माया माया की चेरी
माया माया की रानी
माया ही माया सखी
माया नगरी की माया
माया माँ पितृ भगनी
माया बसी दौ नैनाँ में
माया श्रवण ओ स्पर्श
माया जिह्वा ओ देह
माया सुमति दुर्मति
बाह्यपरिधि पे डोलती
लाखअभेद्यप्रयासरत
नृत्य मनोहारी करती
रॉवणसम चेष्टायुक्त
किन्तु इस बार सीता
लक्ष्मणरेख न लाँघेगी
तोड़ न सकेगी केंद्रघेरा
आत्मदीप बारा अभंग
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