Wednesday, 5 November 2014

ओज




कहाँ से आता! अवहेलना से खोता है 
परिचय  क्या ! इन्द्रियों से परे पकड़ 

अहसास देता  शक्ति का  प्रतिभा का 
कला में  सौंदर्य, नृत्य में बालासौम्य 

भावों में ह्रदय-भाव , जीव पौरुष बल 
कविता  में  तरंग , नदियों  में  बहाव  

सूर्य  में  ताप चन्द्रमा में ठंडी चांदनी  
गंभीर समुद्र का उर्ध्व उछाल ओज है 

नाड़ियों में रक्त, सहस्त्रधार में प्रकाश
भक्ति में प्रेम ज्ञान में करुणा ओज है 

नारीह्रदय  पुरुषमस्तिष्क  मध्य-मेल 
देवत्व को निरंतर अग्रसर जीव ओज है 

ऊपर को उठता धरा का सीना फोड़ता 
नन्हे बीज का अदृश्य साहस  ओज है 

तेज हवाओं मध्य थरथराती दीपशिखा 
डट कर मुकाबला करती अग्निओज है 

योग में महायोग संकल्प साधनलिप्त 
महायोगी की तपश्चर्या  भाव  ओज है 

संकल्पयुक्त सर्वकल्याण वो बढा पुरुष 
सीमाओं पे डटे सैनिक का शौर्य ओज है 

ओजवान  जीव जन्म देता  नव जीवन 
जन्मित बीज संग आती श्वांस ओज है  

आस्मा परामाकाश असीमित अव्यक्त 
व्योम बन जुड़ा बिंदु में वो बिंदु ओज है 


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