रुकना नहीं, तुझे बढ़ते रहना है
जो मिले;आत्मसात कर बढ़ना
नामंजूर है प्रकर्ति को रुकना
बहते ही जाना, बहते ही जाना
धूल बनी पर्वत , फिर बने धूल
धूल से बने फुल, फूल बने धूल
खनन आभूषण, फिर हो खनन
जल बने भाप , वाष्प बने जल
लहर अभी उठी, और फिर गिरी
हवा अब बही , लो अब हुई घुप्प
अभी जीव जन्मा लिखी है मौत
परिवर्तन निरंतर बहता दरिया
कालगाल प्रवेश शीतल सुलगता
फिसलाता संगमें बहाता लेजाता
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