Wednesday 19 November 2014

चली मेरी नईया हौले हौले




चली मेरी नईया  हौले हौले
गहरा पानी चलें लहर-लहर 
गुइयाँ आ गावें संग मल्हार

सात सुरों के तीन है सप्तक
मन्द्र-मध्य-तार सप्तक सुर
तीनो के गठबंधन  है बेजोड़

सात सुरों में फूंक प्राण,प्रिये 
सात छिद्र निकाले छंदगान
सात लोक में गूंजे सुर ताल

आने का आग्रह  है प्रतिपल
घूंट घूंट पियूं प्रेम मधु हाला
नसों में दौड बन रक्तप्रवाह


स्वागत  तेरा श्वांस श्वांस में
न सुनूँ !जाना तेरा, मेरी मर्जी
बाह्य  गमन द्वार  सब  बंद!


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