Sunday, 16 November 2014

हद






उन्नत उड़ान उड़ना, बादल की हद थी 

तड़प के ऊँँचा उठना,समंदर की हद थी


मचल  के यूँ फैलना , सुगंध की हद थी

गीतों में गोता लगाना, प्रेमी की हद थी


भावों में नैया उतराना भक्त की हद थी 

उस पार छलांगकर मिलना मेरी हद थी


क्षणक्षण उपलब्ध हो, समय की हद थी

क्षण तराश काबिल बनाना, तेरी हद थी

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