दरस काज को सखियन संग
प्रिय तुझ से नेह-बंध जोड़ा रे
अब न चिंता भाग्यधर्मरीत की
न कोई क्लेश अब सतावे रे
नाव उतारी गहरे संग तिहारे
कछु न तनिक मनवॉ काँपे रे
तुम जो बजावो बांसुरी मधुर,
ता ता थय्या मगन मन नाचे रे
आये मोरे प्रिय भरतार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
बड़े जतनसे सोलह श्रृंगार कर
इक वस्त्र से या देह सजाई रे
पुष्प हार सुगंध लेप लगाय के
घूँघट काढ तन मन ढाँका रे
तब मोहे संग मिला पिया का
मनवा मगन हुआ जाये रे
काहे क चिंता कौन य दुर्मति
अलबेला संग मा आयो रे
आये मोरे प्रिय भरतार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
ऊँची उठि उठि जोर लगावें
जल लहरे चरण पखारन को
बादल ने भी जुगत दिखाई
गर्ज गर्ज गीत सुनाता जाता
वंदन को झुकता ही जाए रे
भय नहीं नय्या कितहुँ डोले
तुम संग नेह जो लगाया रे
आये मोरे प्रिय भरतार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
नय्या मा चढ़े हम सब जीवा
कौन अब हम का डरावे रे
सुखसागर बना क्षीर अगाधा
जो दुःख का सागर कहलावे रे
माया कौन है या कौन ठगनी
माया कौन है या कौन ठगनी
भय अब नाही सतावे रे
मगन धिनक मनवा नाचे
तन डूबत मन खोवत जाए रे
आये मोरे प्रिय भरतार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
इक सखी का मृदंगम बाजे
दूजी के पायल छुनछुन बाजे
इक का कोकिल स्वर गूंजे
दूजी नर्तन से मनुहार मनाये
इक बजावे वीणा मनभावन
इक के झांझर झन झन तार
इक का टुन टुन मजीरा बोले
मंगल गावें म्हारे चार कहार
आये मोरे प्रिय भरतार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
सखी री सब मिल गावो मंगलाचार
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