Thursday 19 June 2014

दिवास्वप्न

दिवास्वप्न  सा जीवन जीना अच्छा लगता है 


दिन रैन  सपनो में रहना  जीवन सा लगता  है !
दिन में सोना और रात में जागना क्यों अच्छा लगता है !

तारो   में बसे अपने  अपनो  के सपने  सपनो में सोना
उन सपनो में अपनों को उन तारो में देखना अच्छा लगता है !

बच्चो सा खिलखिलाना  साथ मिल खेलना  रूठ जाना
झूमना  नाचना खेलना मौज मानना  सब अच्छा लगता   है !

चिड़ियों संग उड़ना मछली संग तैरना फूलों संग खिलना
उन सा चहकना , फिसलना  और महकना , अच्छा लगता है !

बादलो को देखना , चाँद को छूना , परियों का थपथपाना 
जादू की छड़ी घुमाना  , मुझे  वो सब दे जाना  अच्छा लगता है !

आँखे बंद कर गीत गुनगुनाना मधुर  धुन में वो डूब जाना
धीरे से  नाचने लगना झूमते झूमते डूब जाना अच्छा लगता है !

उसी मदहोशी में  गुनगुनाते  थिरकते  सिहरन सी  उभरती है
झुरझुरी का कम्पन फिर प्रेम के सागर  में डूबना अच्छा लगता है !

जानता हूँ स्वप्न  है ये सब  जागती आँखों के  फिर  सोचता हूँ 
जीवन जी चुकी  डूबती आँखों  के सपने  सभी तो  थे ,  सच्चा लगता है !



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