वो फूल थे नन्हे जो बागों में खिले
माली ने पाले प्यार से ,तो ही मिले
सुवास सुन्दर उड चली , चहुँ उनकी
तनमन महका, आभा से मंडल चहका
इक रोज दो_बूंदे पटल पे , ठहरी देखी
ओस कहते कुछ , फुल के मोती जिन्हे
जतन से पाला उन्हें पल नाजुक बहुत थे
बन सुगंध हुए वो , इत्र की बोतल में बंद
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