संग तिहारा पीहू लागे पियारा
बांसुरी धुन मा मन बिसराना रे
प्रेम बंध कछु समझ न पाउन
सागर बिच उतरी नय्या डोले रे
नाविक ! नाव खेवा, संभल के ....
पवन तेज बल उफान उठावे
काह करू कउन जतन कर पाउं
अंधियारे कारे सघन घन छाये
इधरउधर मुई पतंग जस डोले रे
नाविक ! नाव खेवा , संभल के ....
हर_ हर नीचे , गड-गड ऊपर
हड़_हड़ कर घन शोर मचाये रे
तड़_तड़_तड़ बिजुरी चमकाए
धक से धड़के थर से कंपे हिय रे
नाविक ! नाव खेवा , संभल के .....
प्रियतम आस लगी बस तोसे
दूजा मोहे न कोउ संग दिखावे
नाव है टूटी पतवार मोसे छूटी
बिस्वासबंधसंग जिउ चलाया रे
नाविक ! नाव खेवा, संभल के ....
No comments:
Post a Comment