Tuesday, 5 May 2015

सूफियाना



दिव्य कमल  खिलते स्वतंत्रता के सरोवर  में 

कहीं बाड़ के घेरे में  सूफियाना गुल महकते है 

सब कुछ तरंगित इस जहाँ, और उस जहाँ  में 

कहीं कुछ निभाना है, तो कहीं कुछ मिटाना है 

कहीं जरा पर्दा गिराना, तो कहीं पर्दा उठाना है  

ठोंक बजा लेना! दीवारें गिराने उठाने से पहले  

क्या, कितना गिराना ! कहाँ कितना उठाना है 

कौन दीवार गिरे सूफी किसे बलवान बनाना है

Om

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