दिव्य कमल खिलते स्वतंत्रता के सरोवर में
कहीं बाड़ के घेरे में सूफियाना गुल महकते है
सब कुछ तरंगित इस जहाँ, और उस जहाँ में
कहीं कुछ निभाना है, तो कहीं कुछ मिटाना है
कहीं जरा पर्दा गिराना, तो कहीं पर्दा उठाना है
ठोंक बजा लेना! दीवारें गिराने उठाने से पहले
क्या, कितना गिराना ! कहाँ कितना उठाना है
कौन दीवार गिरे सूफी किसे बलवान बनाना है
Om
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