Tuesday 5 May 2015

छूलेंगे संग क्षितिज अवसान



आओ ! रस्सी के मध्य खड़े 
मध्य के इस सिरे तक तोड़ 
मध्य के उस सिरे तक जोड़ 
हम सब मिल खेलखेलें और 
तोड़ते चलें वैज्ञानिक  सदृश्
एकएक देह के एकएक कण 
तोड़ते जाएँ जब तलक  पूर्ण 
.
उस अतत्व को न पालें,याके
लख्नो परमाणु  निर्मित अनु 
अनु से निर्मित सृष्टि सदृश 
जोड़ते जाएँ जबतक जीवन
से भरी एक भाव  छलकाती 
रंगीन  और  कुशल संरचना 
पूर्ण तप से जिवंत न कर लें 
.

गर्भजन्ममातृत्व से न जोड़े 
सारे कयास प्रतीक सत्व  के 
जीव जन्म प्रकृति  माध्यम 
अपना कहने की भूल न करें 
सिर्फ एक रचना पूर्ण कर लें 
अपना करें , ईश्वरत्व  तुल्य 
सम-योग आओ स:योग करें 

पुनर्रचना  कर्म लिप्त तपसी 
बचें अनर्गलप्रलाप मिथक से 
आओ रस्सी के इस  मध्य में
मध्य के इस सिरे तक है तोड़ 
मध्य के उससिरे तक है जोड़ 
हम सब मिल खेलें  खेल और 
चलो तुम उधर,  हम इधर से 
.
मिलेंगे पुनःउसीजगह पे हम 
छूलेंगे संग क्षितिजअवसान

(अवसान - terminating Point )

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