Friday, 15 May 2015

एक बंध



मेरे बोलने और मौन के बीच एक बंध बना हुआ 
हौले पग  रखिये नाजुक डोर से बंधा ढह जायेगा  
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अभी जो इस पार से कही अपने दिल की बात है 
थोड़ी गुफ्तगू उससे भी तो कर लूँ,जो उस पार है  
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बोलता हूँ तब तलक, नहीं बोलता तू जब तलक 
जिस पल तू बोला, मौन हो जाऊंगा सदा के लिए  
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