एक लहर का अर्थ इतना ही है
उठी और उठी और गिर गयी
अब वो जीवन की हो, या फिर
विचार की, या सुबह शाम की
.
दीपशिखा को हो गुमां क्यूँ कर
किसने जलाया रौशनी के लिए
जितनी बत्ती थी जली बुझ गयी
जिसे रौशनी मिलनी थी मिली
.
फूल को भी गुमान क्यूँ कर हो
स्वाभाविक वास्तविक सौंदर्य
प्रफुल्लित सुगन्धित डोलता
यूँ हँसते गाते सूख राख हुआ
Om
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