Sunday, 31 May 2015

अपना अपना जीवन




सबके  अपने  
अपने   घड़े 
सबकी अपनी
अपनी प्यास 
सबमे इक्छा-भोग
परिणाम  टपकता
रत्ती रत्ती  जलकण 
बनाता आहिस्ता
भोग गति को
तरळ  सरळ 

कौन किसको 
खोज रहा है 
सभी आश्रित  
है आश्रयदाता 
सभी  भिखारी 
सभी अमीर 
अचरज भरा 
सत्य , साधु
का  दूजा छोर 
मिलता वैश्या से
ये है एक धागा  
सिरे विपरीत
जुड़े हुए जोड़े से 
अपना - अपना 
जीवन काट रहे है

भगवन-भक्त
मंदिर-पुजारी 
नेता - जनता 
मित्र और मित्र 
या शत्र संग शत्रु  
एक ही संयोग
शत्रु रूप मित्र 
मित्र-रूप शत्रु
माँ औ संतान 
खून सम्बन्ध 
जैसे  समाज
के गठबंधन  
औ सर्वोपरि 
ज्ञान अग्यान  
भरा सम्बन्ध  

ये  टुटा  कच्चा 
बर्तन मिटटी का 
सात   छेद    है 
है  सात   द्वार 
आना औ जाना 
खोखल  अंदर 
फूंक हवा इसमें 
गाये  बांसुरी 
अधूरा टूटा 
माधुर  गान ____

बूँद  बूँद ज्यूँ  
भरता  जाए 
बूँद  बूँद त्यूं 
रिसता जाए
अंत आगाज 
जैसा था वैसा 
ही रह जाए 
पापी  खाली 
सिद्ध खाली
सूफी खाली 
दानव खाली 
दोनों पक्षों के- 
वीर खाली 
रुग्ण खाली 
स्वस्थ खाली 
ज्ञानी सहित 
अज्ञानी खाली 
खाली बर्तन 
ढक्कन खाली 
विदा की बेला 
खाली  खाली 
चल  उड़ हंसा 
ज्यूँ की त्यूं धर 
दीनी चंदरिया ___!

बिछुड़े कह के
बस फिर मिलेंगे
आते रहेंगे जल्दी 
अलविदा कौन 
कहता है___!
क्या ज्ञानी 
क्या अज्ञानी 
किसकी मुक्ति 
किसकी बानी 
इक बसे मूर्ति में 
दूजा उतारें आरती 
करें बुलावा एक दूजे  का , 

माया महाठगनी- 
हम जानी!
कर्म की चक्की 
भोग का दाना 
मूठी-मूठी पड़ता
गिर पिस जाता 
कर्मभोग आटा 
यज्ञाहुति है 
सुबह शाम की  
धौकनी  में 
भाव / अन्न 
पड़ता जाता 
काल चक्की में
गिरते पड़ते बढ़ते 
स्वतः हजम होता जाता 

Wednesday, 27 May 2015

जाने कब से एक ही काम दोहराए जा रहा हूँ



जाने कब से एक ही काम दोहराए जा रहा हूँ
कोशिशों से डुबकी लगा मोती निकालता हूँ
मुठी में दबा कुशल तैर बाहर आता हूँ, और ज्यु
देखता हूँ खोल मुठी को , दिखाना चाहता हूँ
सबको उपलब्धियां गिनाना चाहता हूँ, त्यु
वो सरक जाता है दोबारा उन्ही गहराइयों में
.
और फिर मैं कूद पड़ता हूँ एक बार फिर
उन्हीं गहराइयों में , एक बार फिर बेताल जैसा
उस मोती को दोबारा बाहर लाने के लिए
जाने कब से एक ही काम दोहराए जा रहा हूँ
नाम बदले ! रूप बदले ! सदियाँ बदली ! पर काम
नहीं बदला आज भी वो ही काम किये जा रहा हूँ मैं

Tuesday, 26 May 2015

Prayers



O ' Lord,

may my vision always look broad .. 
from the height , 
to understand maze is easy . 

may my soul touch down ever , 
to connect with all 
and my wishes make light 
so that i can fly 
burden less. 

may my non-physical element 
can roams on earth 
to feel the gratitude and compassion . 
but my no-mind state 
always feel up n up ; 
so that just alike spider web 
the earthy maze 
can not trap me and finish me so easy . 

may my heart and mind both 
always resting In Om .
the Om is the last house 
on the wandering scale 
but meeting point with you 
where i can do rest 
with you , forever
.





Om pranam 

_()_

Monday, 25 May 2015

दर्पण


कोई मरने को  जीता  है 
कोई जीने  को  मरता है 
अच्छा-बुरा कला-सफ़ेद 
दिनरैन सा संग रहता है 

मूर्खविद् दोनों पूर्णसंग 
ज्ञानी को मूर्ख ढूंढे और 
मूरख  को   ढूंढे   ज्ञानी
होता कुछ  यूँ उलट पर -
मूर्ख  खोजे  मूर्ख  मिले 
ज्ञानी खोजे मिले ज्ञान  
विरोधाभास  पूर्ण  चक्र 
कौन मूरख कौन ज्ञानी 
तुमने कही हमने मानी 
नानक कहे दोनों ज्ञानी 

ये  दर्पण  झूठ  न बोले 
जैसा भाव वैसा ही बोले 
उधर से मैं खुद को देखू 
इधर से मैं खुद को पाऊँ 
मूर्ख  को  दिखे  है  मूर्ख 
ज्ञानी  को  दिखे  ज्ञानी 
सौंदर्य  बदसूरती चाहत 
घृणा  उदासी  ख़ुशी सब 
प्रतिबिंब भंडार निशानी 


तुमने दी  माया  मैंने ली 
घड़े में  दही  मक्खनदार 
रस्सी बंध  मथानी चली 
एक घूमाता दूजा घूमता 
माया  ठगनी  हम जानी 
एकने कही दूजे ने  सुनी  

गुरु समझे  मख्हन  मेरा 
आश्रम आश्रय  सब  मेरा  
आ जाओ हूँ  सक्षम  " मैं "
शिष्य कहे मख्हन है मेरा
बस तुम मेरी पीड़ा ले लो 
इस दिल पे काहे का भार  
ले दे के सब किया बराबर 
चलता यूँ सबका कारोबार 

मिलजुल खाते घी  चुपड़ी 
दोनों तलाश में दोनों  की 
वर्तुलबंधन दोनों  ही पक्ष  
कौन  चला  रहा   मथानी 
कहाँ   निकलता   मख्हन 

इक बेचता  मख्हन  बाहर 
इक  बनाता सेहत  अपनी
दोनों सयाने  दोनों  ज्ञानी 
मोहनी  करती अमृत बाँट 
दिमाग के खेल  है लुभावी 
ह्रदय तिजोरी है करामाती
अपनी ही रची माया दृश्य 
अपने  हास्य से आनंदित 
सुने अट्टहास पृकृति  का 

संकेत :  ये  एक पूर्ण घेरे के विपरीत ध्रुवी  दृश्य  को प्रस्तुत करती निष्प्रयोजन  और महाप्रयोजन के अर्थ में लिखी कविता है।   सार सार  को गहि रहे थोथा देयी उड़ाय।  भगवतीदास  नन्दलाल  भाई जी के साथ  वार्ता  पे आधारित।  

Sunday, 24 May 2015

तुम भी हूबहू मिले


मैंने  जाना  प्रियतम तुझे
माना  नहीं , समझा नहीं
उतरा  है  चाँद  का अक्स  
शांतझील में ज्यूँ नूर तेरा  
रुपहला  हो  बिखर  गया  ,
.
तेरे बन्दों से बंदगी दोस्ती 
शुक्रिया अपनी  दास्ताँ से 
भावपरिचयरूप देते सभी  
कवितायेँ नहीं, कवि भाव  
लेख नहीं लेखक पढ़ डाले  

.
ज्ञान नहीं ज्ञानी को जाना 
ऋचा नहीं,ऋचाकार मिले
उनकी कलम  की नोंक  पे 
बैठ रौशनाई पीछे पन्ने पे 
लिखने वाले के भाव मिले  
.
न किसी  के कहे जैसे तुम 
न ही मशहूरियतमुताबिक  
दीदार का शुक्रिया ऐ दोस्त 
फकत सादी सी थी कोशिश 
नतीजा तुम भी हूबहू मिले 






Friday, 22 May 2015

शब्द जाल



शब्द जाल , संरचना से उभरते  शब्द समूह
शब्द जन्म संयोग कंठ आघात वायु अग्नि

मस्तिष्क दौड़, माध्यम  सुनने  सुनाने का
शुद्ध ऊर्जा पुंज  जो निर्मित अग्नि वायु से

स्वयं कहते सुनते जाल बुनते मकड़ी जैसा
आरम्भ खुला व्योम सा, बंद मध्यबिंदुअंत 

अपने ही पीछे  छूटते  तारों में जा उलझता
जीव  अनजाने में अपने ही बनाये जाल में

शुद्धऊर्जा शब्द अपना जाल स्वयं बुनते है 
मकड़ी की तरह मूर्ख मध्य में जाअटकते है

सावधान  उस पहले  शब्द के  इस्तेमाल से
पश्चात जिसमे पश्चाताप ही  मात्र शामिल

शुद्धऊर्जा  के दो ही  स्वरुप  दिखाई  पड़ते
इक जाता सृजन को तो दूसरा विध्वंस को

शब्दों के अर्थ अनर्थ सम्मलित उपयोग में
शब्दपथ गमन हो चिंतन स्वाध्याय मनन

ऊर्जा  शुद्धतम " स्व "  स्व अर्थ फलदायी
स्व पे केंद्रित होता अध्यात्म स्व से जुड़ हो 

चयन उत्तम उपयोग सहयोग युक्त संग्रहण
पूर्ण कल्याण जीव कल्याण  लोक कल्याण 

Wednesday, 20 May 2015

धड़कन




धड़कन के धागे में पिरो
वो  सौगात मुझे दे गया
सीने पे रखा हाथ अपना
उँगलियों के पोरों में बैठ
आहिस्ता  सब कह गया

इस दिल का संगीत तेरा
सुर्ख दौड़ता लहू भी तेरा
जीवन के लिए दिल का
संकुचन  तेरा बारम्बार
बीज सदृश् बनना होगा

और उसी जीवन के लिए
मेरा  विस्तार तेरा  हुआ
मुझे दोबारा छूने के लिए
दिल में  लहू  भरना होगा

तुझे श्वांस देता हु अपनी
लय  देता हूँ  अपनी तुझे
धड़कन की ताल  बना के
जीने का राग देता हूँ तुझे
याद रखना तेरा नहीं कुछ
मुझे ही वापिस देना होगा







Tuesday, 19 May 2015

इंद्रधनुषी रंग

एक अनुभव एकात्म का 
कभी  सोच के  देखना !!

खिले फुहारों  बीच आस्मां से उतरे रंग 
अकस्मात् ख़ुशी का उपहार दे जाते  है , 
छोटे से मन के  सुखद पुलक अहसास  
आखिरकार क्यूँ कर  ऐसा संभव  हुआ , 

कभी सोच के देखना  !!

झीलों में तैरते रंगीन कमल दल खिले 
 कितना  प्रसन्न करते है अंतरमन  को 
खिले  सुवासित रंगीन फूलों के बगीचे  
सुखभाव दर्श के पीछे छिपा एक ही रंग 

कभी सोच के  देखना !! 

कहीं उनका वास उस जगत में तो नहीं  !
आप-हम जैसे ये भी परदेसी है आये हुए 
धरती में मिले हमसंग द्वैतअद्वैत बन 
सूरज डोली, चन्द्र हिंडोला इनकी सवारी 
 या  इनसे भी दूर नक्षत्रो से चलके है आते  

 कभी सोच के देखना !!  

 नानी  दादी की कथाओं में  बस्ते  ये रंग 
परीदेश से चलके आते चमकीले चटकीले 
कैसा परी देश ! कैसी चमक ! प्रकाश कैसा 
कैसी स्वप्निल बालकथा इनका  मर्म कहाँ !  

कभी  सोच के  देखना  ! 



रंग का पवित्रतम स्वरूप
इंद्रधनुष में जैसे सिमट आया 
मेरी तरह ये भी प्रियतम को स्पर्श कर आये है 

मेहमान है मेरी तरह ये भी 
परियों की तरह नृत्य करते डोलते फिरते 
उड़ जायेंगे ये  मेरी ही तरह  प्रियतम के पास 

लाखोंवर्ष दूरस्थ से दीप्तकिरण 
स:यात्री बन चलते ये भी जिनके संग 
छिप बैठे उनमे चतुर सुजान रंग भाव तरंग बन 


निश्चित बनी सवारी इनकी 
चन्द्र और सूरज किरण के रथों की 
स्विप्निल आँखों में आ उतरे स्वप्न बन ये रंग 

भारी हो  गिर पड़े  धरती पे 
इधर उधर  फूल बन बिखरे वादियों में 
मानो  धरती संग  होली  खेल के ही जायेंगे 

जहाँ गिरे  वहां अपनी छाप दे 
उड़े जो आस्मां को सात रंग में रंग गए  
कहीं इकठा हुए वाष्पकण धनुष बन तन गए 

देखा देखि उन्होंने भी रंग बनाये है
वेही सप्तरंग वे ही कृत्रिम खेल कृत्रिम भाव 
माया निर्मित गढ़े, प्रिय सम कहाँ निर्दोष मिले 



Monday, 18 May 2015

The Lonely Chair-"Finally I Have Come To Realize"



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Love is very different  from your eyes
My love
*
Its  just like play of Dream-Land
*
And
The garden full of
Fragrant roses
*
And
Life moving speedily
Through
The sparkle bright-
Tunnel

*
Happiness

Bloom

Fragrance

Are the part
Of time

*

With all existential
Aloofness In the root
Joyful living

*

The surrender
And grateful dive
In existence
With acceptance
Of where is as is
*

My love  all is  as is and
My flight towards you

*
And
Sweet sense of love
You are with me
Every time
With or without
Either me or your's
Notices

*

"And Finally, I realised"
You  and your presence
In duality in
Surroundings
My love

*
Aah ! my thirsty
The beak is open to sky and
And you
Melting
Sweet
Taste  of nectar
Drop by drop
Dropping
In side

*
Your love is vast sky
Your love alike
Dense clouds

Your love is melting
Just like   showers

Your love is poetry
Just like my words

Your  love  is a song
Just like  flute I am

Your love embraced
All existence of mine

*

And the way 
Of 
River
I have  
Finally 
Realize

*
Enjoy from here 
"I Have Finally Come To Realise"
The  Song Lyrics 
VAN MORRISON



I have finally come to 
realise
Child don't do what I 
have done
Cut my nose to spite 
my face
Made my own odds 
10,000 to one

I saw the Empire 
slowly fade away
Tried to grasp it with 
my hand
Then I saw that it was 
not up to me
I'm just one tiny, tiny 
grain of sand

Oh, sweet release, oh 
how you 
soothe me
When I let go, I love 
how you use me

I have finally come to realise
It's something they're doing that 
they're doing that we find
A certain way that we can live our 
lives
And I'm takin' some peace of 
mind

Oh, sweet release, oh how you 
soothe me
And when I let go, and when I let 
go

I love how you use me
I have finally come to realise
It's something they're doing that 
they're doing that we find
A certain way that we can live our 
lives
And I'm takin' some peace of 
mind

I have finally come to 
realise, yes I have
Child don't do, child don't 
do what I have done
I cut my nose, I cut my nose 
to spite my face
I made my own odds 
10,000 to one

I cut my nose to spite my 
face
I made my own odds 
10,000 to one
One more time

I cut my nose, I cut my nose
I cut my nose to spite my 
face
I made my own odds 
10,000 to one

*
" Finally I have Come To Realize "
*
Your love is vast sky
Your love alike
Dense clouds

Your love is melting
Just like   showers

Your love is poetry
Just like my words

Your  love  is  song
Just like  flute i am

Your love embraced
All existence of mine 

*
Aah ! my thirsty
Beak is open to sky and
And you
Melting
Sweet
Taste  of nectar
Drop by drop
Dropping
In side

*
Your way of  blessings
My root  of living
My Love

Your shower of grace
Cause of the bloom
Of life

You are the best
Guide on path
Of ignorance
My love

In the dense
forest
of Illusive
world
i am
drunken
but not
alone
and
wandering
only cause
of your
love
my love

*

Aaah !
The lotus heart get
Bloom in sun shine
Happy with
All knowing


Cuckoo  is singing
Sweet
Casually
She knows
Nothing
Not at all

*

And the garden of
Your love
Is waiting
To welcome
All  get full
Resources
Of my rest
Look
Already intimated
For best care
Of mine
By you
My love

*
Roads are
Taking
Care of
Mine
As guide
Appointing
By you
How
Sweet of
You  and
Your care
Beyond
My
Words
My love

*

Every time  when i get confused
In duality of roads
Patiently ,  you show me a path
As guardian and   as lover

*
Floating  gently
My love
In the pond of  love
Pond of life
Pond of undergoes
Pond of endures

the way
finishing walks
by my lotus heart
under your
shelter
of blessings
and grace

*
My roots
Getting
Nourishment
My
Branches up
Towards
You

in my branches
birds take rest
just cos of you

Just cos of you

*

Aaah !!!
Heaven gate
Appears

It's an optimum fruit
Of my walks
Your kindness 
My Love

All is cos of you
All is cos of you

Smoothly
I will cross
This bridge
My love

Hey !
Hold my finger
I am coming
With you
You are
Throughout
With
Me
I know

*

Reality of 
Dream or 
May it 
Dream of 
Reality 
Whatever 
You gives is 
Gift 
Beyond my 
Words 
To say thank 
You 
Lord for 
Everything 

 *

Hey !
Hold my finger
I am coming
With you
You are
throughout
With
Me
I know
My love

*

I am  aloof
Not alone
Totally
Day and night
With you
My love
..
..
..
..
Do not wait for me

I know  in the point of end

I will catch you
Anyway
It's my promise
My love

@ lata  16 / 05 / 2015




Never to forget ! 
the life is precious  and absolute one. 
 _()_
*Thank you for  Reading and Watching with Love *

द्वैत - अद्वैत के रंग





कुछ गिरते रंगते, कुछ अनायास उभर आते 
भिगोते सभी रंग दिखाई तो नहीं देते
ये भी द्वैत तो कुछ अद्वैत होते है

इन रंगो में ज़रा फर्क तासीर का भी नहीं होता
रंग  तत्व पे गिरते  है तो कुछ अ+रंग 
चैतन्य पे छिटक कर  उभरते   है

फर्क! तत्व पे गिरा उसे तत्व ही देख पायेगा  
चैतन्य पे गिर अदृश्य तरंग था होवेगा 
उफ़ ! रंग भी द्वित्व में दो मिले

प्रकाश किरण बिखरी कण कण शुभ्र उजला
दूजी छुइ मन सरोवर निखरा निखरा  
किरण भी द्वित्व में बंटी मिली

इक अनोखा कमल मिला अन्तस्मन  में
अप्रतिम सौन्दय युक्त अद्वितीय
व्यापारों ख्वाहिशों से बेख़ौफ़

इक वो था,जो दो हांथों बीच कैद सुंदर पुष्प
दोनों के हांथो में वो सुगंध दे गुजर गया
द्विअर्थी पुष्प भी मिल गया 

Saturday, 16 May 2015

Flower Offering : Budhha's Lotus-Heart

Lotus-Heart

A lotus opened today
within  a calm and warm heart

The soft and cooling petals
are caressed by the light

this lotus remains near
even after knowing all

it spreads its aroma
since the dawn of time

we are in , this together
to witness ........
...... and merge
.............through
...........The horizon line

*
Go towards the shining light
and enjoy the garland of star flower

the time of friction passed and

clarity embraces your heart

in this vast Ocean of life

all boundaries are broken

as we all comes close  go

through the mirror of mind

here we see the past in us

which is only love

we forget everything , take

rest in light of the The Heart Lotus

*

On this day we watch
the flowers

the sweet scent vanishes
into the limitless sky

no wanting anything ...
the river of love flows upward

with the stream become the stream
a  smile from a distance came from unseen

the essence of flowers
lifts the sun of the heart through the stars

within the inner clear sky
all remains ever pure

In our silence
we understand and we listen

*

Good action comes through good intention
the distant pole star loves the heart lotus

those who listen the lotus

hold an eternal opening
for life to be closest friend

*

Listen to the lotus flower see how they yearn ,
for the moonbeam's in the reflection in the sea

enlightens the internal panorama
..... the mountains
.....the nearest sky
..... the boat that float in peace

and as light ocean unfolds to a vastness
so endlessly beautiful and without shores

the lotus open to the place
where the moonbeams touch
and your friend whispers the eternal peace song

this is all my love
this is all there is

*
Lotus teaches

to be kind


One Earth


One rock


a tree


a cloud


One flower


all contain presence ......


One life


 bird


butterfly


all flower feel us


.

.
.
.
walk gently

*

the golden waves dance slightly
walk forwards - retreat gently

flower in river turn kindly
circle dance ti rippled waves

all moment mimic all of nature

just like a flower garden make of people

just like  flower gives essence to water

the lotus he / art  will blossom again

and bloom in union with the moon and sun

*

Grasses hold shiny mountain dew drops
the tips flutter gently in the wind
shivering  sound wild  flower laughs to  the sun

the land dances with cosmic

mind is open to all darkness
with the wind clouds and the land

now .... sit ... still .... rise-up .... and laugh through silence 


than light can pierce you with delight
bath in the deep lotus heart center where it is empty
and full and blissful  and quiet
the heart lotus grew many new petals


As an awakened love touches from inside
the fragrance of lotus brings out the aroma of light
blooming jasmine

fresh air is fanned through the lotus leaves

and as sunlight celebrate as golden as ever

the river reflect the stars of the silvery light night

in the space of this inner most love

we own ..................
........................Nothing ...........

expat .....................
  ......................here .................

At this place of beauty

we are taken away


in to presence .




Om





Friday, 15 May 2015

इक्छाओं के आकारजाल



कण तृण निर्जीव था 
इक्छाओं के आकार को 
कैसे देता! तब कर्म लिप्त शब्द भी तो नहीं थे 
.
कुम्हार ने मट्टी को 
चाक पे घुमा दिया 
सात रंग का नक्काशीदार सुन्दर कप बना दिया 
.
इक्छा इतराने लगी 
बर्तनों मेंअंतर्द्वन्द्व
धौकनी की रफ़्तार देखो धक धक ! छक छक ! 
.
सर्प नृत्य होने लगा 
श्वांस अतिरेक चल पड़ी 
गुरियोँ से भरी रीढ़ अथक व्यायाम करने लगी 
.
ज्ञानी एकत्रित कणो ने 
समझ के फिर समझाया 
इंगला पिंगला के तान बान में गुरियों को पिरोले 
.
तमाम उम्र एक काम 
उठाती रही वो धौंकनी 
रंग में रंग मिला  नाड़ी में पिरो माला बनाती रही  
.
और एक दिन छेद हुआ 
धौंकनी जमीं पे गिर पड़ी 
अस्तित्व पुनः अः+तत्व था , सिवाय कर्म+फल के 
.
फलेक्षा पुनः आकार बनी
पूर्ववत अब निर्दोष न हो  
कर्म-फल-भोग-दोषारोपण-कर्म-चक्र-जाल संयुक्त थी

मौन सागर




मौन सागर अपनी ही गहराईयों में डूबेगा
वख्ती नदियों का मिलना इसे गवारा नहीं
.
अजीब गजब रवायत तेरे जहाँ की निराली 
क्षीरसागर से नदी खुद ब खुद नहीं मिलती 
.
यहाँ नदिया पथरीले ढलानों से नहीं बहती
सागर झूम मस्त हो, जा उनको मिलता है 
.
सभी नदियां सयानी हो , ऊपर को चलती है 
और बढ़ती जाती अपने सागर को मिलती है

एक बंध



मेरे बोलने और मौन के बीच एक बंध बना हुआ 
हौले पग  रखिये नाजुक डोर से बंधा ढह जायेगा  
.
अभी जो इस पार से कही अपने दिल की बात है 
थोड़ी गुफ्तगू उससे भी तो कर लूँ,जो उस पार है  
.
बोलता हूँ तब तलक, नहीं बोलता तू जब तलक 
जिस पल तू बोला, मौन हो जाऊंगा सदा के लिए  
.

नासमझ समझ






फुर्सत के है चहचहाने, मौजों से बंधे किनारे है 
वख्त कहाँ ! आदिअंतहीन का आद्यान्त खोजें  
.
शाश्वत आदि अंत किसने देखा लिखा गाया है 
किस्से सामायिक चंद बंधे टुकड़ों की दास्ताँ है 
.
फिर भी मन तू बेचैन है , कुछ कहने सुनने को 
आज इस पल में  घटती घटनाएँ  कल की कथा 
.
कथाओं के किस्से किस्सों से परिवर्तित गाथाएं 
गाथाओं का बनता अमिट इतिहास जलतरंग पे  
.
हम पलट रहे गाथाओं के ऐतिहासिक पन्नो को
जलतरंग जिसको देती स्वर कल-कल चल-चल
.
नासमझ समझ बहते समय की ये धार-दुधारी है  
इसपे बहना तेरी किस्मत सँभलना जिम्मेदारी है 
.
Om Pranam

The Body Institute



this is the body  made-up with dust 
get stand up walk forward cos of energy..
.
the energy  source of  entire system 
The Institute of Mgmt and you the head ..
.
you also have the head  to rule upon you 
this head have also beautiful Mgmt Institute ...
.
this head is over heading upon you 
and you rest inside  in beautiful place inside ...
.
Cool dark chamber resting closed eyes   
strikes  makes sound and burst wall zone ...
.
mind was stun,control-system get failed 
in-time you get active to protect temple of love ... 
.
and you  do it, now  under your shelter 
system running smooth mind get total shut ..
.
now you'e the ruler  and head of Mgmt
As the energy source  made system for  you ...



Take care