सबके अपने
अपने घड़े
सबकी अपनी
अपनी प्यास
सबमे इक्छा-भोग
परिणाम टपकता
रत्ती रत्ती जलकण
बनाता आहिस्ता
भोग गति को
तरळ सरळ
कौन किसको
खोज रहा है
सभी आश्रित
है आश्रयदाता
सभी भिखारी
सभी अमीर
अचरज भरा
सत्य , साधु
का दूजा छोर
मिलता वैश्या से
ये है एक धागा
सिरे विपरीत
जुड़े हुए जोड़े से
अपना - अपना
जीवन काट रहे है
भगवन-भक्त
मंदिर-पुजारी
नेता - जनता
मित्र और मित्र
या शत्र संग शत्रु
एक ही संयोग
शत्रु रूप मित्र
मित्र-रूप शत्रु
माँ औ संतान
खून सम्बन्ध
जैसे समाज
के गठबंधन
औ सर्वोपरि
ज्ञान अग्यान
भरा सम्बन्ध
ये टुटा कच्चा
बर्तन मिटटी का
सात छेद है
है सात द्वार
आना औ जाना
खोखल अंदर
फूंक हवा इसमें
गाये बांसुरी
अधूरा टूटा
माधुर गान ____
बूँद बूँद ज्यूँ
भरता जाए
बूँद बूँद त्यूं
रिसता जाए
अंत आगाज
जैसा था वैसा
ही रह जाए
पापी खाली
सिद्ध खाली
सूफी खाली
दानव खाली
दोनों पक्षों के-
वीर खाली
रुग्ण खाली
स्वस्थ खाली
ज्ञानी सहित
अज्ञानी खाली
खाली बर्तन
ढक्कन खाली
विदा की बेला
खाली खाली
चल उड़ हंसा
ज्यूँ की त्यूं धर
दीनी चंदरिया ___!
बिछुड़े कह के
बस फिर मिलेंगे
आते रहेंगे जल्दी
अलविदा कौन
कहता है___!
क्या ज्ञानी
क्या अज्ञानी
किसकी मुक्ति
किसकी बानी
इक बसे मूर्ति में
दूजा उतारें आरती
करें बुलावा एक दूजे का ,
माया महाठगनी-
हम जानी!
कर्म की चक्की
भोग का दाना
मूठी-मूठी पड़ता
गिर पिस जाता
कर्मभोग आटा
यज्ञाहुति है
सुबह शाम की
धौकनी में
भाव / अन्न
पड़ता जाता
काल चक्की में
गिरते पड़ते बढ़ते
स्वतः हजम होता जाता
अपने घड़े
सबकी अपनी
अपनी प्यास
सबमे इक्छा-भोग
परिणाम टपकता
रत्ती रत्ती जलकण
बनाता आहिस्ता
भोग गति को
तरळ सरळ
कौन किसको
खोज रहा है
सभी आश्रित
है आश्रयदाता
सभी भिखारी
सभी अमीर
अचरज भरा
सत्य , साधु
का दूजा छोर
मिलता वैश्या से
ये है एक धागा
सिरे विपरीत
जुड़े हुए जोड़े से
अपना - अपना
जीवन काट रहे है
भगवन-भक्त
मंदिर-पुजारी
नेता - जनता
मित्र और मित्र
या शत्र संग शत्रु
एक ही संयोग
शत्रु रूप मित्र
मित्र-रूप शत्रु
माँ औ संतान
खून सम्बन्ध
जैसे समाज
के गठबंधन
औ सर्वोपरि
ज्ञान अग्यान
भरा सम्बन्ध
ये टुटा कच्चा
बर्तन मिटटी का
सात छेद है
है सात द्वार
आना औ जाना
खोखल अंदर
फूंक हवा इसमें
गाये बांसुरी
अधूरा टूटा
माधुर गान ____
बूँद बूँद ज्यूँ
भरता जाए
बूँद बूँद त्यूं
रिसता जाए
अंत आगाज
जैसा था वैसा
ही रह जाए
पापी खाली
सिद्ध खाली
सूफी खाली
दानव खाली
दोनों पक्षों के-
वीर खाली
रुग्ण खाली
स्वस्थ खाली
ज्ञानी सहित
अज्ञानी खाली
खाली बर्तन
ढक्कन खाली
विदा की बेला
खाली खाली
चल उड़ हंसा
ज्यूँ की त्यूं धर
दीनी चंदरिया ___!
बिछुड़े कह के
बस फिर मिलेंगे
आते रहेंगे जल्दी
अलविदा कौन
कहता है___!
क्या ज्ञानी
क्या अज्ञानी
किसकी मुक्ति
किसकी बानी
इक बसे मूर्ति में
दूजा उतारें आरती
करें बुलावा एक दूजे का ,
माया महाठगनी-
हम जानी!
कर्म की चक्की
भोग का दाना
मूठी-मूठी पड़ता
गिर पिस जाता
कर्मभोग आटा
यज्ञाहुति है
सुबह शाम की
धौकनी में
भाव / अन्न
पड़ता जाता
काल चक्की में
गिरते पड़ते बढ़ते
स्वतः हजम होता जाता