छाये घन व्योम प्रचंड तमस के आलिंगन में
चमकती तड़ित रेख लहरा के खो जाती
उसकी गंभीर सघन गर्जन आवाज़ धरा की
दारुण ख़ामोशी पलभर को देती है चीर!
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सकल अँधेरे में टिमटिम तारे मद्धिम शांत
ज्यूँ ऋषि कुल संयम का परिचय देते
प्रेमगीत गाते धरा पे कुसुमित पल्लव उपवन
कहता जाता पंक में जीता पंकज-कुल !
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चक्रवात सदृश उर्जाये अनेक चक्करों में बंधी
कहती या गति हो तुम अथवा मिटटी
तपस नहीं नाम आकार उपाधि सम्मान कोई
जीवन-पथ पे संयम ही योगी का योग !
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