एक धार पे ज्ञान टिका, तो दूजे पे अज्ञान
बीच में कुटिया छायी के, संत करे विश्राम !! lata
कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर
ना काहु से दोस्ती, भाई ! ना काहु से बैर
.
भाई ! न काहु से बैरअकेले चले सब राही
डेरा ये बाजार का यहाँ खड़ा हुआ न जाये
.
खड़ा हुआ न जाए कि चहु ओर शोर भरा
कौन सुने ओ किसकी नशे में धुत्त सब है
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नशे में धुत्त सब थामे अपनी अपनी हाला
कहते महा अवधूता ज्ञानी , उठ अब जाग
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उठ अब जाग माया महाठगनी हम जानी
गए ठगा बनाये ठिकाना, बीच बाजार मा
बीच बाजार मा बनाये, खड़े रहे चिल्लाय
सुनभइ दुइ पाटन बिच बाकी रहा न कोई
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बाकि रहा न कोई तनी सुध धर ले अपनी
सुन चातक कमल बिच बैठ बना ठिकाना
.
कमल बिच बैठ बना ठिकाना लगा ध्यान
इक अकेला एकमत,जनमत साथ न जाए
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