Saturday, 11 April 2015

जनमत साथ न जाए (Dedicated to Saint Kabira)


एक धार पे ज्ञान टिका, तो दूजे पे अज्ञान
          बीच में कुटिया छायी के, संत करे विश्राम !lata

कबीरा खड़ा बाजार में  मांगे सबकी खैर 
ना काहु से दोस्ती, भाई ! ना काहु से बैर 
.
भाई ! न काहु से बैरअकेले चले सब राही 
डेरा ये बाजार का यहाँ खड़ा हुआ न जाये 
.
खड़ा हुआ न जाए कि चहु ओर शोर भरा
कौन सुने ओ किसकी नशे में धुत्त सब है
.
नशे में धुत्त सब थामे अपनी अपनी हाला 
कहते महा अवधूता ज्ञानी , उठ अब जाग
.
उठ अब जाग माया महाठगनी हम जानी 
गए ठगा बनाये ठिकाना, बीच बाजार मा 

बीच बाजार मा बनाये, खड़े रहे चिल्लाय 
सुनभइ दुइ पाटन बिच बाकी रहा न कोई
.
बाकि रहा न कोई तनी सुध धर ले अपनी 
सुन चातक कमल बिच बैठ बना ठिकाना
.
कमल बिच बैठ बना ठिकाना लगा ध्यान 
इक अकेला एकमत,जनमत साथ न जाए

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